गोरखपुर। माह-ए-रमजान के दूसरे अशरे में रोजेदार सुबह से ही इबादत व कुरआन-ए-पाक की तिलावत शुरु कर रहे हैं, जिसका सिलसिला देर रात तक जारी रह रहा है। फर्ज, वाजिब व सुन्नत नमाजों के अलावा तहज्जुद, इशराक, चाश्त, अव्वाबीन, सलातुल तस्बीह आदि नफ्ल नमाजें भी खूब पढ़ी जा रही हैं। सभी के सिरों पर टोपी व हाथों में तस्बीह नजर आ रही है। मिस्वाक, खजूर व इत्र का खूब इस्तेमाल हो रहा है।
रोजेदार दिन में रोजा रखकर व रात में तरावीह की नमाज पढ़कर अल्लाह का फरमान पूरा कर रहे हैं। अल्लाह का फरमान पूरा करने के बदले में रोजेदारों को ईद का ईनाम मिलेगा। सोमवार को 16वां रोजा अल्लाह की हम्द व सना में बीता। करीब 13 घंटा 31 मिनट का लंबा रोजा रोजेदारों के सब्र का इम्तिहान ले रहा है। बाजार में रौनक बढ़ गई है। ईद की खरीदारी शुरू हो चुकी है। सेवईयों की बिक्री भी जोर पकड़ चुकी है।
हजारों महिलाएं आज करेंगी मिलकर रोजा इफ्तार
आमना मुस्लिम गर्ल्स इंटर कॉलेज बहरामपुर, इलाहीबाग में मंगलवार 18 मार्च को शाम 6 बजकर 11 मिनट पर महिलाओं के लिए विशेष सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया है। जिसमें हर धर्म व वर्ग की हजारों महिलाएं मिलकर रोजा इफ्तार कर गंगा जमुनी तहजीब व आपसी सौहार्द की मिसाल पेश करेंगी। यह जानकारी कॉलेज के प्रबंधक एडवोकेट मुस्ताक अहमद खां व प्रधनाचार्या श्रीमती उम्मे रजिया ने दी है। उन्होंने महिलाओं से सामूहिक इफ्तार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है।
इबादत करने से गुनाह माफ होते हैं : हाफिज रहमत
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि जिसने ईमान के साथ सवाब की नियत से यानी रिया, शोहरत और दिखावे के लिए नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की खुशनूदी के लिए रात में इबादत के लिए खड़ा हुआ यानी नमाजे तरावीह और तहज्जुद पढ़ी तो उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। एक और हदीस में है कि जो शख्स शबे कद्र (21, 23, 25, 27, 29 रमजान की रात) में ईमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत के लिए खड़ा हुआ यानी नमाजे तरावीह और तहज्जुद पढ़ी, कुरआन की तिलावत की और अल्लाह का जिक्र किया तो उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ में नहीं बैठा तो सब गुनहगार : उलमा
रमजान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर सोमवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा।
1. सवाल : अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ में नहीं बैठा तो क्या सब गुनहगार होंगे?
जवाब : हां। एतिकाफ करना सुन्नत अलल किफाया है अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ में नहीं बैठा तो सब गुनहगार होंगे।
2. सवाल : क्या दौराने एतिकाफ मोबाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है?
जवाब : हां, जरूरत की बिना पर इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन मस्जिद के आदाब और दूसरे नमाजियों के हुकूक का ख्याल रखते हुए।
3. सवाल : क्या सगी खाला (मां की बहन) को जकात दे सकते हैं?
जवाब : अगर खाला जकात की मुस्तहिक है तो उन्हें जकात दे सकते हैं।