
गोरखपुर। माह-ए-रमजान का पहला अशरा रहमत का मंगलवार 11 मार्च की शाम समाप्त हो जाएगा। दूसरा अशरा मगफिरत (गुनाहों की माफी) का शुरू होगा। सोमवार को माह-ए-रमजान का नौवां रोजा नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत में बीता। माह-ए-रमजान की रहमत सभी पर बराबर बरस रही है। रोजेदारों को मौसम से काफी राहत मिल रही है। रोजेदार अल्लाह को राजी करने में जी जान से जुटे हुए हैं। दिन में रोजा रात में तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है। बाजार गुलजार है। हज्जिन बीबी जामा मस्जिद धर्मशाला बाजार में सामूहिक रोजा इफ्तार हुआ। सबने मिलकर रोजा खोला और दुआ मांगी। वहीं दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल, शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह, हज्जिन बीबी जामा मस्जिद धर्मशाला बाजार, दरोगा साहब मस्जिद अफगान हाता में तरावीह की नमाज़ के दौरान एक कुरआन-ए-पाक पूरा हुआ। हाफिज-ए-कुरआन को तोहफों व दुआओं से नवाजा गया।
अल्लाह रोजेदारों को रहमतों से नवाजता है : मौलाना शादाब
मौलाना शादाब अहमद ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम के पांच बुनियादी रुक्न (हिस्सा) में रोजा भी एक है और इस अमल के लिए माह-ए-रमजान मुकर्रर किया गया। अल्लाह तआला इबादत गुजार रोजेदार बंदे को बदले में रहमतों और बरकतों से नवाजता है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि जो मुकद्दस रमजान में किसी मजलिस-ए-जिक्र में शिरकत करता है, अल्लाह उसके हर-हर कदम के बदले में एक-एक साल की इबादत का सवाब लिखता है। कयामत के दिन वह अर्श के साए में होगा। जो कोई मुकद्दस रमजान में नमाजें बा जमात अदा करता है यानी हर फर्ज़ नमाज बा जमात ही पढ़ता है, अल्लाह उस खुशनसीब को हर-हर रकात के बदले में नूर का एक शहर अता फरमाएगा।
मुकद्दस रमजान में दुआएं ज्यादा कबूल होती हैं : शाबान अहमद
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के सेक्रेटरी शाबान अहमद ने बताया कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि दुआ बंदे की तीन बातों से खाली नहीं होती। पहला उसका गुनाह बख्शा जाता है। दूसरा उसे फायदा हासिल होता है। तीसरा उसके लिए आखिरत में भलाई जमा की जाती है। मुकद्दस रमजान में तो दुआएं ज्यादा कुबूल होती हैं इसलिए मुकद्दस रमजान में दुआएं जरूर मांगी जाए। इफ्तार के समय की दुआ खाली नहीं जाती। रोजेदार के लिए तो फरिश्ते व दरिया की मछलियां तक दुआ करती हैं। दुआ मांगने का पहला फायदा यह है कि अल्लाह के हुक्म की पैरवी होती है कि उसका हुक्म है कि मुझसे दुआ मांगा करो। दुआ मांगना सुन्नत भी है।
रोजे की हालत में उल्टी आने से रोजा नहीं टूटेगा : उलमा
रमज़ान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर सोमवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज, रोजा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा ने कुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : क्या रोजे की हालत में उल्टी आने से रोजा टूट जाता है?
जवाब : नहीं, रोज़े की हालत में खुद ब खुद उल्टी आने से रोजा नहीं टूटता, अगर्चे मुंह भर हो या उससे भी ज्यादा।
2. सवाल : खरीदी हुई जमीन पर जकात है या नहीं?
जवाब : अगर रिहाइशी मकान के लिए खरीदा है तो उस पर जकात नहीं। अगर तिजारत (बिजनेस) की नियत से खरीदा है तो उस पर जकात फर्ज़ है।
नौ साल की आयशा व सात साल की अनाबिया ने रखा पहला रोजा
रमजानुल मुबारक के रोजे मुसलमान सब्र व शुक्र के साथ रख रहे हैं। इस मुहीम में बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी पुरजोश नजर आ रहे हैं।
सूरजकुंड कॉलोनी के रहने वाले सैयद रऊफ अहमद व फरहाना खातून की सात साल की बेटी सैयद अनाबिया रऊफ ने पहला रोजा रखा। अनाबिया ने करीब 13 घंटे 18 मिनट तक भूखा प्यासा रहकर अल्लाह तआला का शुक्र अदा किया। इस मौके पर घर वालों ने अनाबिया का हौसला बढ़ाते हुए मुबारकबाद पेश की। दुआओं से नवाजा। मुबारकबाद पेश करने वालों में सैयद हुसैन अहमद, सैयद नदीम अहमद, सैयद मतीन अहमद, सैयदा जरीना, उमरा, सैयद जैनब वारसी, चांदनी, सैयद जीनत, अरहम, खान, अकलीमा वारसी, मो. हैदर रजा, अजकिया, अबूजर आदि शामिल रहे।
वहीं मोहल्ला खोखर टोला के रहने वाले मरहूम असरार अहमद व अफरोज सुल्ताना की नौ वर्षीय बेटी आयशा परवीन ने इम्तिहान खत्म होने के बाद पहला रोजा रखा। अल्लाह की इबादत की। कुरआन-ए-पाक की तिलावत की। घर वालों ने हौसला बढ़ाया। तमाम तरह की इफ्तारी बनी। आयशा ने शाम को सबके साथ मिलकर रोजा खोला और अल्लाह का शुक्र अदा किया। घर वालों ने दुआ व तोहफों से नवाजा।