
गोरखपुर। माह-ए-रमजान का पांचवां रोजा अल्लाह व रसूल की याद में बीता। रोजेदारों ने इबादतों के जरिए अल्लाह को राजी करने की कोशिश की। अल्लाह की खास रहमत बंदों पर उतर रही है। रोजेदारों में गजब का उत्साह है। रोजेदारों ने पूरी दुनिया में अमन व अमान, अपने व अपने परिवार के लिए, गरीबों, यतीमों, पीड़ित लाचार, बेसहारा लोगों के लिए दुआ मांगी। रोजेदारों ने नमाज़ पढ़कर, कुरआन की तिलावत कर, दरूदो सलाम पेश कर, तस्बीह फेर, सदका खैरात कर नेकियां बटोरीं। इफ्तार-सहरी की रौनक बरकरार है। मस्जिद की सफें भरी नज़र आ रही हैं। तरावीह की नमाज़ जारी है। मस्जिद व घरों में रौनक है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत कर रोजेदार नेकियां कमा रहे हैं। मालिके निसाब जकात व सदका-ए-फित्र अदा कर अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे है। मस्जिदों में रात की तरावीह नमाज के अलावा पांच वक्त की फर्ज नमाज़ों में खूब भीड़ हो रही है। सर पर टोपी रखे रोजेदार बच्चे व नौजवान हर जगह दिख रहे हैं। बच्चे भी खूब इबादत कर रहे हैं। बाजार भी गुलजार है।
इस्लाम में जकात फर्ज है जल्द अदा करें : मुफ्ती शुएब
मुफ्ती मुहम्मद शुएब रज़ा निजामी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में जकात फर्ज है। जकात पर मोहताज, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का हक़ है जो मालिके निसाब न हों। इसे जल्द से जल्द हकदारों मुसलमानों तक पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। अगर आप मालिके निसाब हैं, तो हकदार को जकात जरूर दें, क्योंकि जकात न देने पर सख्त अजाब का बयान कुरआन-ए-पाक में आया है। जकात हलाल और जायज तरीके से कमाए हुए माल में से दी जाए।
रमजान का महीना आदर्श जीवनशैली के लिए तय : मो. नदीम
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मो. नदीम ने बताया कि रमज़ान में हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है। अमूमन साल में ग्यारह महीने तक इंसान दुनियादारी के झंझावतों में फंसा रहता है लिहाजा अल्लाह ने रमज़ान का महीना आदर्श जीवनशैली के लिए तय किया है। शाहनवाज अहमद ने कहा कि रोजे रखने का असल मकसद महज भूख-प्यास पर नियंत्रण रखना नहीं है बल्कि रोजे की रूह दरअसल आत्म संयम, नियंत्रण, अल्लाह के प्रति अकीदत और सही राह पर चलने के संकल्प और उस पर मुस्तैदी से अमल में बसती है।
हिंदू-मुस्लिम ने मिलकर किया रोजा इफ्तार
गुरुवार को मोंट रियल मोहद्दीपुर के कांफ्रेंस हाल में अवधेश श्रीवास्तव की ओर से सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। अवधेश श्रीवास्तव व कंपनी के सीएमडी हाफिज अयाज अहमद ने कहा कि रमजान के पवित्र माह में रोजेदार को इफ्तार कराना एक पुनीत कार्य है। इससे हमारी गंगा जमुनी तहजीब और मजबूत होती है। भाईचारा बढ़ता है। रमजान का पवित्र माह संयम, धैर्य, अपनी इंद्रियों को वश में करने का प्रतीक है। ऐसे आयोजनों से हमारी एकता मजबूत होती है। रोजेदारों ने अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए हिंदू भाईयों के साथ रोजा खोला। इस मौके पर अशोक कुमार, मो. अकरम, रोहित पासवान, अनीस अहमद, सलमान खान, शहबाज खान, मो. आज़म, नेहा आर्या, अनीता साहनी, सुहेल अहमद, रितिका तिवारी, इरफान हसन, मो. मोहसिन, अवनीश भाटी, अखिलेश पटेल, अब्दुल समद आदि मौजूद रहे।
माह-ए-रमज़ान का पहला जुमा आज
जुमा को हफ्ते की ईद कहते हैं। माह-ए-रमजान में पड़ने वाले पहले जुमा के लिए मस्जिदों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सभी मस्जिदों में जुमा का खुत्बा पढ़ा जाएगा और जुमा की नमाज़ अदा कर मुल्क में अमन व अमान की दुआ मांगी जाएगी। महिलाएं घरों में इबादत कर दुआ मांगेंगीं।
नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो रोजा टूट जाएगा : उलमा
रमज़ान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर गुरुवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज, रोजा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए।
1. सवाल : रोजे की हालत में गुस्ल (नहाना) करने में अगर कान में पानी चला जाए तो क्या रोजा टूट जाता है?
जवाब : रोजे की हालत में अगर गुस्ल करते हुए कान में खुद ब खुद पानी चला गया तो रोज़े पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, इसलिए कि यह इख्तियार से बाहर है।
2. सवाल : नापाकी की हालत में रोजा रखना कैसा है?
जवाब : हालते जनाबत में रोजा दुरुस्त है। इससे रोज़े में कोई नक्स व खलल नहीं आएगा। अलबत्ता वह शख्स नमाजें जानबूझकर छोड़ने के सबब अशद गुनाहे कबीरा का मुरतकिब होगा।
3. सवाल : क्या दांत और मसूड़े से खून निकले तो रोज़ा टूट जाएगा?
जवाब : दांतों या मसूड़ों से खून निकलकर हलक में चला जाए तो उससे रोजा टूट जाएगा और कजा लाजिम होगी।
4. सवाल : रोजे की हालत में नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो क्या रोजा टूट गया?
जवाब : अगर किसी की नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो रोजा टूट जाएगा और खून हलक में नहीं गया तो रोजा नहीं टूटेगा।