पैग़ंबरे इस्लाम से मुहब्बत की दलील है ईद मिलादुन्नबी की खुशी : हाजी आज़म

Spread the love

गौसिया मस्जिद अंधियारी बाग में सजी महफ़िल, बांटा लंगर

गोरखपुर। दावते इस्लामी इंडिया की ओर से 'इस्तकबाले माह-ए-मीलाद' नाम से गौसिया मस्जिद अंधियारी बाग में महफ़िल का आयोजन हुआ। कुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी जव्वाद ने की। नात-ए-पाक आदिल अत्तारी ने पेश की।

मुख्य वक्ता हाजी मो. आज़म अत्तारी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इंसानों को जीने का सलीका सिखाया। लोगों को सही रास्ते पर चलने की तालीम दी। सारी दुनिया पैग़ंबरे इस्लाम के तुफैल बनाई गई। आप सारी दुनिया के लिए रहमत हैं। माह-ए-रबीउल अव्वल की 12 तारीख पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यौमे पैदाइश की वह यादगार तारीख़ है जिसको भुलाना नामुमकिन है। इस मुबारक माह की आमद पर दुनियाभर में खुशियां मनाई जाती है। पैग़ंबरे इस्लाम को याद कर उनके नाम की महफिल सजाई जाती है। ईद मिलादुन्नबी की महफिल सजाना, खुशियां मनाना पैग़ंबरे इस्लाम से मुहब्बत की दलील है और शरीअत की नज़र में पसंदीदा अमल भी है। पैग़ंबरे इस्लाम ने दुनिया को तौहीद, इंसानियत और समता का संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि ईद मिलादुन्नबी पर अस्पतालों में जाकर बीमारों में फल-दूध वगैरा तक्सीम करें। मोहल्लों में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगवाएं। गरीबों व यतीमों के बीच जाकर कपड़ा बांटें। गरीब बच्चों की तालीम हासिल करने में मदद करें। गरीबों और यतीमों को खाना खिलाएं। उनके यहां राशन पहुंचाएं। पड़ोसियों का ख्याल रखें। जुलूस-ए-मुहम्मदी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम में डीजे, बैंड बाजा या ढ़ोल बिल्कुल न बजवाएं। हुड़दंग व शोर न मचाएं। आतिशबाजी बिल्कुल न करें और न ही बच्चों को आतिशबाजी करने दें। अमन के साथ जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला जाए और प्रशासन का पूरा सहयोग किया जाए। जुलूस में दीनी पोस्टर या किसी मजार जैसे गुंबदे खज़रा की बेहुरमती न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा जाए। जुलूस समापन पर होर्डिंग्स, बैनर व झंडे सुरक्षित स्थानों पर रख दिए जाएं।

अध्यक्षता करते हुए फरहान अत्तारी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम द्वारा दिए गए तौहीद, प्रेम, सहिष्णुता, शांति एवं विश्व बंधुत्व के पैग़ाम से हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। ईद मिलादुन्नबी पर देशवासियों में फूल और मिठाईयां बांटें। पौधारोपण कर पर्यावरण को हरा भरा करें। अपने शहर, गली व मोहल्ले को साफ रखें। इबादत करें। रोज़ा रखें। मिलाद की महफिल सजाएं। शरीअत के दायरे में रहकर ईद मिलादुन्नबी की खुशियां मनाएं। घरों व मस्जिदों को झंडों व लाइटों से सजाएं। जुलूस के रास्ते में कोई अस्पताल हो तो खामोशी से दरूदो सलाम पढ़ते हुए निकल जाएं। जुलूस के रास्ते में कोई एम्बुलेंस आ जाए तो उसे रास्ता दें।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। लंगर बांटा गया। महफिल में मो. अंसारी मिस्बाही, सैयद इब्राहीम अत्तारी, हाफिज आरिफ रज़ा, मोहसिन अत्तारी, मौलाना सज्जाद अत्तारी, मो. अरजान अत्तारी, मौलाना अशहर अत्तारी, ताबिश सिद्दीकी, शिराज सिद्दीकी सहित तमाम लोग शामिल हुए।

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *