
गोरखपुर। माह-ए-रमजान के पहले जुमा की नमाज शहर की सभी मस्जिदों में अदा की गई। मुल्क में अमन व अमान और खुशहाली की दुआ मांगी गई। फर्ज नमाजों के साथ नफ्ल नमाज पढ़ी गई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। माह-ए-रमजान का पहला जुमा व छठा रोजा अल्लाह को राजी करने में गुजरा।
मदीना जामा मस्जिद रेती चौक, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, जामा मस्जिद रसूलपुर, गोरखनाथ जामा मस्जिद, दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद जामा मस्जिद नार्मल, मस्जिद सुब्हानिया तकिया कवलदह, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, मक्का मस्जिद मेवातीपुर, चिश्तिया मस्जिद में बक्शीपुर, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार सहित सभी मस्जिदों में भीड़ उमड़ी।
जुमा के नमाज की तैयारी सुबह से शुरु हो गई। लोगों ने गुस्ल किया। साफ सुथरे कपड़े पहने। इत्र लगाया। सर पर टोपी सजाई। अजान होने से पहले ही बच्चे, नौजवान व बुजुर्गों ने मस्जिदों की ओर कदम बढ़ाए, ताकी पहली पंक्ति में जगह मिल जाए। अजान से पहले नमाजियों से मस्जिदें भरनी शुरु हो गई। अजान होने तक मस्जिदें नमाजियों से भर गई। इसके बाद नमाजियों ने सुन्नत नमाज अदा की। तकरीर के बाद मस्जिदों के इमाम ने मिम्बर पर खड़े होकर खुत्बा पेश किया। जुमा की नमाज अदा की गई। इमाम के साथ सभी ने अल्लाह की बारगाह में दुआ के लिए हाथ उठाए। इमाम की दुआ पर सभी ने आमीन की सदा बुलंद की। मिलकर दरूदो-सलाम पढ़ा गया। घरों में महिलाओं ने नमाज़ अदा की। कुरआन-ए-पाक की तिलावत की।
शाम को इफ्तार की तैयारी शुरु हो गई। लजीज व्यंजन व शरबत से दस्तरख़्वान सज गए। शाम को असर की नमाज़ पढ़ी गई । इफ्तार का इंतजार शुरु हुआ। इफ्तार का समय होने पर सबने अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए रोजा खोला। रोजा खोलने के बाद मस्जिदों का रुख किया। मगरिब की नमाज अदा की। फिर थोड़ा चाय नाश्ता किया। इसके बाद इशा व तरावीह की नमाज अदा की। हफ्ते की ईद व छठा रोजा मुसलमानों ने अल्लाह की रजा में गुजारा। बाजारों व मुस्लिम मोहल्लों में देर रात तक रौनक बनी रही।
उलमा किराम ने जुमा की तकरीर में यह कहा
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि रोजेदार खुशनसीब है जिसके लिए हर रोज जन्नत सजाई जाती है। रोजेदार की मगफिरत के लिए दरिया की मछलियां दुआ करती हैं। रोजा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है बल्कि नफ्स पर कंट्रोल का जरिया है। असल रोजा तो वह है जिससे अल्लाह राजी हो जाए। जब हाथ उठे तो भलाई के लिए। कान सुने तो अच्छी बातें। कदम बढ़े तो नेक काम करने के लिए। आंख देखे तो जायज चीज़ों को। रमजान का अदब व एहतराम बेहद जरूरी है।
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि रोजा सिर्फ खाने और पीने से दूर रहने का नाम नहीं, रोजा तो यह है कि बेहूदा बातों से बचा रहे। झूट, चुगली, गीबत, गाली देने व किसी को तकलीफ देने से बचें। यह चीजें वैसे भी नाजायज व हराम हैं।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने अल्लाह की इनायतों, रहमतों और बख्शिश का जिक्र किया।
शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम हाफिज आफताब आलम ने कहा कि रमजान का महीना इबादत का महीना है। मतलब इस महीने में ज्यादा से ज्यादा ऐसा काम किया जाए, जिससे अल्लाह व रसूल खुश हों और अल्लाह व रसूल को ख़ुश करने के लिए सबसे जरूरी है उनके बताए रास्ते पर चलना। ज्यादा से ज्यादा अल्लाह को याद करें। नमाज़ और कुरआन पढ़ें क्योंकि इस महीने में जो इबादत की जाती है, आम दिनों के मुकाबले ज्यादा सवाब देती है। एक दूसरे की मदद करें, जकात और फित्रा अदा करें। गरीबों को ज्यादा से ज्यादा सदका व खैरात दें। रोजेदारों को इफ्तार कराएं।
मिर्गी का दौरा पड़ने से रोजा नहीं टूटेगा : उलमा
रमज़ान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर जुमा को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोजा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : रोजे की हालत में अगर मिर्गी के रोगी को दौरा पड़ जाए तो क्या रोज़ा टूट जाएगा?
जवाब : रोजा नहीं टूटेगा।
2. सवाल : रोजे की हालत में बच्चे को दूध पिलाना कैसा क्या इससे भी रोज़ा टूट जाएगा?
जवाब : नहीं। रोजे की हालत में बच्चे को दूध पिलाने में कोई हर्ज नहीं न ही इससे रोजा टूटता है और न ही वुजू।
3. सवाल : क्या खूनी बवासीर से रोजा टूट जाता है?
जवाब : नहीं खूनी बवासीर से रोजे पर कोई असर नहीं पड़ता।
4. सवाल : क्या आंख में सुर्मा लगाने और सर में तेल लगाने से रोजा टूट जाता है?
जवाब : नहीं। आंख में सुर्मा लगाने और सर में तेल लगाने से रोजा नहीं टूटेगा अगरचे उसका मजा हलक में मालूम हो।