सदरुश्शरिया, ताजुश्शरिया सहित देश-विदेश की अज़ीम हस्तियों का मनाया जाएगा उर्स

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गोरखपुर। इस्लाम धर्म का 11वां महीना ज़िल क़ादा है। जो बुधवार 30 अप्रैल से शुरु हो गया। ज़िल क़ादा माह में शहर की कई मस्जिदों में हिन्दुस्तान, मोरक्को, इराक, ईरान, मिस्र आदि देशों की अज़ीम हस्तियों का उर्स-ए-पाक मनाया जाएगा। जिसमें सहाबी-ए-रसूल हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास, सदरुश्शरिया, ताजुश्शरिया, हज़रत हम्माद, इमाम सैयद मोहम्मद अल जज़ूली, इमाम अबुल हसन, हज़रत सैयद अबू सालेह, हज़रत मुहम्मद बिन कासिम, इमाम अबू जाफ़र, हज़रत सैयद फ़ज़्लुल्लाह, हज़रत ख़्वाजा बंदा नवाज़, इमाम सरफुद्दीन अल बुसीरी, हज़रत सुल्तान फ़तेह अली खान, इमाम सैयद मुहम्मद तकी, अल्लामा नक़ी अली खां का उर्स-ए-पाक शामिल है।

 

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि ज़िल क़ादा में कई मुक़द्दस हस्तियों का उर्स-ए-पाक है। मस्जिद में तमाम उर्स-ए-पाक के मौके पर क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी की जाएगी।

 

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार के इमाम हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि ज़िल क़ादा दीन-ए-इस्लाम का 11वां महीना है। इसमें खूब इबादत करें। ज़िल क़ादा माह में बहुत ही अज़ीम हस्तियों का उर्स-ए-पाक पड़ेगा। मस्जिद में भी इसाले सवाब किया जाएगा। लोगों से भी गुजारिश है कि इस माह इबादत करें। अज़ीम हस्तियों की याद में क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी करें। अमन शांति की दुआ मांगें।

 

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मुहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि ज़िल क़ादा में कई अज़ीम हस्तियों का उर्स-ए-पाक है। लिहाजा क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी करें। अज़ीम हस्तियों की तारीख़ को पढ़कर उनके नक़्शेकदम पर चलने की कोशिश करें। उर्स को गैर शरई रस्मों से पाक साफ रखें।

ज़िल क़ादा माह की इस तारीख में है अज़ीम हस्तियों का उर्स-ए-पाक

2 ज़ील क़ादा ‘बहारे शरीअत’ के लेखक हज़रत सदरुश्शरिया अल्लामा मुफ़्ती अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमा, हज़रत हम्माद बिन इमाम अबू हनीफा अलैहिर्रहमा, 4 ज़िल क़ादा ‘दलाइलुल खैरात’ के लेखक हज़रत इमाम सैयद मुहम्मद अल जज़ूली अलैहिर्रहमा, 6 ज़िल क़ादा हज़रत ताजुश्शरिया अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा खां अज़हरी अलैहिर्रहमा, 8 ज़िल क़ादा ‘सुनन् अल दारक़ुतनी’ के लेखक हज़रत इमाम अबुल हसन अली बिन उमर अल दारक़ुतनी मुहद्दिस अलैहिर्रहमा, 11 ज़िल क़ादा हज़रत सैयद अबू सालेह मूसा जंगी दोस्त (गौसे पाक के वालिद) अलैहिर्रहमा, हज़रत मुहम्मद बिन कासिम अलैहिर्रहमा, 14 ज़िल क़ादा हज़रत इमाम अबू जाफ़र अहमद बिन मुहम्मद अहमद बिन तहावी अलैहिर्रहमा, हज़रत सैयद शाह फ़ज़्लुल्लाह कालपवी अलैहिर्रहमा, 16 ज़िल क़ादा हज़रत ख़्वाजा सैयद सदरुद्दीन अबुल फ़तह मुहम्मद हुसैनी (बंदा नवाज, गेसू दराज़) अलैहिर्रहमा, 25 ज़िल क़ादा हज़रत सैयदना साद बिन अबी वक़्क़ास रदियल्लाहु तआला अन्हु, ‘कसीदा बुर्दा शरीफ़’ के लेखक हज़रत इमाम सरफुद्दीन अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद अल बुसीरी अलैहिर्रहमा, 28 ज़िल क़ादा ग्यारहवीं सदी हिजरी के मुजद्दिद हज़रत आलमगीर अलैहिर्रहमा, हज़रत सुल्तान फ़तेह अली खान ‘टीपू’ अलैहिर्रहमा, 29 ज़िल क़ादा हज़रत इमाम सैयद मुहम्मद तकी रदियल्लाहु अन्हु व आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमा के वालिद हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती नक़ी अली खां अलैहिर्रहमा का उर्स-ए-पाक क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी करके मनाया जाएगा।

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