CJI डीवाई चंद्रचूड़ के अहम और यादगार फैसले

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CJI डीवाई चंद्रचूड़ के अहम और यादगार फैसले

द आवाज़, ब्यूरो। शुक्रवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल आख़िरी दिन था। वह दस नवंबर को रिटायर हो जायेंगे और अब जस्टिस संजीव खन्ना देश के नए चीफ़ जस्टिस होंगे।

डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसे ऐतिहासिक फैसले किए हैं जिनके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

सीजेआई चंद्रचूड़ के कार्यकाल के अहम फैसले

1. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 1967 का अजीज बाशा फैसला रद्द किया। CJI ने अपने फैसले में कहा कि एक 3 सदस्यीय नियमित बेंच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर 7 जजों की बेंच के फैसले के निष्कर्षों और मानदंड के आधार पर AMU के अल्पसंख्यक दर्जे के बारे में आखिरी फैसला लेगी।

2. डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी बॉन्ड जारी करने पर तुरंत रोक लगाने के साथ चुनाव आयोग (ईसीआई) को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर राजनीतिक बॉन्ड का विवरण प्रकाशित करने का भी आदेश दिया था।

3. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने भारत की जेलों के भीतर जाति-आधारित भेदभाव को असंवैधानिक करार देते हुए जेल मैनुअल को तुरंत संशोधित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने माना था कि जाति-आधारित काम का आवंटन संविधान का उल्लंघन है।

4. देश में बाल विवाह में वृद्धि का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई निर्देश जारी किए।

5. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने 4-1 के बहुमत के फैसले में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। धारा 6ए, बांग्लादेश से असम आए प्रवासियों की नागरिकता से जुड़ी है।

6. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अडानी-हिंडनबर्ग विवाद में जांच के लिए विशेषज्ञों का समूह बनाने से मना कर दिया था। पीठ ने कहा था कि किसी तीसरे पक्ष के संगठनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को विचारक प्रमाण नहीं माना जा सकता है।

7. मणिपुर महिला यौन हिंसा से जुड़े वीडियो के प्रसारित होने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने रायलेते हुए तीन महिला न्यायाधीशों वाली एक समिति का गठन किया था, जिसे महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित जानकारी इकठ्ठा करने का काम सौंपा गया था।

8. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ने नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करने या दोबारा कराने से इंकार कर दिया था। सीजेआई ने कहा था कि ऐसी कोई चीज जिसके आधार पर ये निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा के रिजल्ट और व्यवस्था में कोई गड़बड़ी हुए है।

9. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली अनुच्छेद 370 को हटा केंद्र सरकार के फैसले को वैध करार दिया था। इसे 2019 में भारत की संसद द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को संवैधानिक तौर पर स्वीकृति के रूप में देखा गया था।

  • Inzamam Khan

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