सैयद फरहान अहमद
"द आवाज़"
गोरखपुर। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक व चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में महाना इज्तिमा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से आगाज़ हुआ। नात व मनकबत पेश की गई।
मरकजी मदीना जामा मस्जिद में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी और चिश्तिया मस्जिद में मुफ्ती अख़्तर हुसैन व मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि मुसलमानों की आपसी भाईचारगी की एक मिसाल जमात की नमाज़ में मिलती है। मुसलमानों के दरम्यान बेनज़ीर भाईचारगी का ख़ूबसूरत मंज़र हज के दिनों में नज़र आता है। जब दुनिया के मुख़्तलिफ़ रंग व नस्ल के लोग हज अदा करने के लिए जमा होते हैं। किसी मुसलमान को किसी दूसरे मुसलमान के बराबर में बैठने, उठने, खाने-पीने में कोई कराहत महसूस नहीं होती, बल्कि हर शख़्स अपनी जान व माल से दूसरे भाई की खिदमत करने में अपनी इज़्ज़त व कामयाबी समझता है। आपसी इख़्तिलाफ़ के बावजूद तमाम क़ौमों से ज़्यादा भाईचारगी आज भी यक़ीनन हम मुसलमानों में ही मिलती है, क्योंकि मुसलमान एक दूसरे की ख़िदमत करने में दोनों जहाँ की कामयाबी पर मुकम्मल यक़ीन रखता है।
उन्होंने ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत को अगर इंसान अपनी ज़िन्दगी में नमूना-ए-अमल बना ले तो दुनिया में भी इज़्ज़त मिलेगी और आख़िरत भी संवर जाएगी। पैग़ंबरे इस्लाम ने हमेशा दूसरों की मदद की, ज़ुल्मत का खात्मा किया और पाबंदी से इबादत की, तो इसलिए जरूरी है कि हम अपने प्यारे पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए तरीके पर चलें। नमाज़ की पाबंदी करें।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान, तरक्की व भाईचारगी की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई।

