

गोरखपुर। सब्ज़पोश हाउस मस्जिद, जाफ़रा बाज़ार में महाना दीनी महफ़िल का आयोजन बड़े ही अदब और श्रद्धा के साथ किया गया। महफ़िल का आगाज़ क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से हुआ, जिसके बाद इस्लाम के सबसे महान पैग़ंबर, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में वक्ताओं ने बेहतरीन अंदाज़ में अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने पैग़ंबरे इस्लाम के योगदान और उनके पवित्र चरित्र पर रौशनी डालते हुए कहा कि वे पूरी दुनिया के रहनुमा और सरदार हैं।
समाज से कुरीतियों और अशांति का अंत किया पैग़ंबरे इस्लाम ने
महफ़िल में मुफ़्ती अख़्तर हुसैन ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने जीवन के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों और अशांति को समाप्त करने का कार्य किया। उन्होंने समाज में फैले अन्याय, भेदभाव और अशांति को जड़ से खत्म कर, भाईचारा और इंसानियत की बुनियाद पर एक नई सामाजिक व्यवस्था स्थापित की।
रहमतुल्लिल आलमीन: हर इंसान के लिए रहमत
मुफ़्ती अख़्तर ने पैग़ंबर को "रहमतुल्लिल आलमीन" कहा, जिसका अर्थ है "समस्त दुनिया के लिए रहमत।" उन्होंने बताया कि पैग़ंबर मुहम्मद का व्यक्तित्व सहिष्णुता और भाईचारे का प्रतीक है। उनका जीवन एक ऐसा मार्गदर्शक है जो हर इंसान को सच्चाई और ईमानदारी के साथ जीने की प्रेरणा देता है। उनके जीवन के आदर्श आज भी सामाजिक सौहार्द और समृद्धि के लिए मार्गदर्शक हैं।
सौहार्द और भाईचारे का संदेश
मुफ़्ती-ए-शहर ने कहा कि पैग़ंबर मुहम्मद ने तौहीद (अल्लाह की एकता) और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश दिया। वे किसी भी प्रकार के फसाद और विभाजन को सख्त नापसंद करते थे, क्योंकि यह समाज के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देता है। उनका मानना था कि समाज में शांति और समृद्धि केवल भाईचारे की बुनियाद पर ही खड़ी हो सकती है। इसी बुनियाद पर समाज की खुशहाली और विकास की इमारत बनाई जा सकती है।
अल्लाह की मुहब्बत और समाज में सौहार्द
मुफ़्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि अल्लाह फसाद करने वालों से नफरत करता है, लेकिन जो लोग समाज में सौहार्द और भाईचारा बढ़ाते हैं, उनसे अल्लाह मुहब्बत करता है। इस्लाम का असली संदेश प्रेम, शांति और सद्भावना का है, और पैग़ंबरे इस्लाम का जीवन इस संदेश का जीता-जागता उदाहरण है।
महफ़िल का समापन और शांति की दुआ
महफ़िल का समापन सलातो सलाम के साथ हुआ, जहां मुल्क में शांति, तरक्की और भाईचारगी की दुआ मांगी गई। महफ़िल के अंत में शीरीनी बांटी गई और उपस्थित लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी। इस आयोजन में कई प्रमुख लोग शामिल हुए, जिनमें हाफिज रहमत अली निजामी, हाजी बदरूल हसन, मुख्तार अशरफी, हाजी सलीम, रूशान, मो. इरफान, मो. अरीब, मो. आयान, मो. आसिफ और कारी मोहम्मद अनस क़ादरी प्रमुख थे।
पैग़ंबरे इस्लाम का कृतित्व और समाज के लिए योगदान
महफ़िल में वक्ताओं ने पैग़ंबर मुहम्मद के जीवन और उनके कृतित्व के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पैग़ंबर के कृतित्व में समाज को एक नई दिशा देने की शक्ति थी। उनका हर कार्य इंसानियत के उत्थान और समाज के सुधार के लिए था। वे हमेशा समाज की भलाई और सौहार्द बढ़ाने के लिए काम करते रहे।
सहिष्णुता और समर्पण का पवित्र उदाहरण
वक्ताओं ने पैग़ंबर के सहिष्णु और समर्पित व्यक्तित्व की तारीफ करते हुए कहा कि उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची धार्मिकता सहिष्णुता में निहित है। वे हर समय दूसरों की भलाई के बारे में सोचते थे और उनकी ज़िन्दगी का हर पहलू दूसरों के लिए मिसाल बन गया।
पैग़ंबर का संदेश आज भी प्रासंगिक
वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि पैग़ंबर का संदेश आज के समाज में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। आज की दुनिया में जहाँ विभाजन और अशांति के अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं, वहां पैग़ंबरे इस्लाम के जीवन से प्रेरणा लेकर हम एक बेहतर समाज बना सकते हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ प्रेम और आदर से पेश आना चाहिए।
भाईचारे का महत्व
मुफ्ती अख़्तर ने इस्लाम में भाईचारे के महत्व को भी विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि पैग़ंबर मुहम्मद ने हमेशा भाईचारे और इंसानियत की बात की। उन्होंने बताया कि बिना भाईचारे के समाज में कोई तरक्की और शांति नहीं हो सकती। समाज की खुशहाली और विकास तभी संभव है जब हम एक दूसरे के साथ प्रेम और आदर से पेश आएं।
पैग़ंबर की शिक्षा और हमारे जीवन में उसका महत्व
वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें पैग़ंबर की शिक्षा को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सही रास्ते पर चलते हुए समाज और दुनिया में शांति और सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सकता है।
शांति और चैन के हिमायती पैग़ंबर
मुफ्ती-ए-शहर ने बताया कि पैग़ंबर मुहम्मद हमेशा शांति और चैन के हिमायती रहे हैं। उनका मानना था कि समाज की खुशहाली तभी मुमकिन है जब समाज के सभी लोग मिल-जुल कर रहें। उनके अनुसार, बंधुत्व और सौहार्द ही वह मजबूत बुनियाद है जिस पर समाज की खुशहाली की इमारत खड़ी हो सकती है।
इस्लाम का असली चेहरा: प्रेम और शांति
इस आयोजन के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इस्लाम का असली चेहरा प्रेम और शांति का है। यह धर्म केवल कुछ नियमों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असल मकसद इंसानियत की भलाई और समाज में अमन कायम करना है। पैग़ंबर मुहम्मद का जीवन इसी सच्चाई का प्रतीक है।
समाज के हर व्यक्ति के लिए पैग़ंबर का संदेश
वक्ताओं ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि पैग़ंबर मुहम्मद का संदेश केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी इंसानियत के लिए है। उनका जीवन हर व्यक्ति के लिए एक मार्गदर्शक है, चाहे वह किसी भी धर्म या समाज से ताल्लुक रखता हो।
समाज में पैग़ंबर की शिक्षा का महत्व
अंत में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हमें पैग़ंबर मुहम्मद की शिक्षा को अपने समाज में फैलाना चाहिए ताकि समाज में प्रेम, शांति और भाईचारा बना रहे।
FAQs
1. पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद का संदेश क्या था?
पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद का संदेश प्रेम, शांति, और भाईचारे का था। वे समाज में अशांति और फसाद के खिलाफ थे और मानते थे कि समाज की खुशहाली की बुनियाद बंधुत्व और सहिष्णुता पर ही टिकी होनी चाहिए।
2. पैग़ंबरे इस्लाम को "रहमतुल्लिल आलमीन" क्यों कहा जाता है?
पैग़ंबरे इस्लाम को "रहमतुल्लिल आलमीन" इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका जीवन पूरी दुनिया के लिए रहमत और मार्गदर्शन का प्रतीक था। उनका व्यक्तित्व सहिष्णुता और सद्भावना का प्रतीक है, जो हर इंसान के लिए प्रेरणादायक है।
3. पैग़ंबरे इस्लाम का समाज के लिए योगदान क्या था?
पैग़ंबरे इस्लाम ने समाज से अन्याय, भेदभाव और अशांति को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने भाईचारे और इंसानियत की बुनियाद पर एक नई सामाजिक व्यवस्था की स्थापना की, जो आज भी आदर्श मानी जाती है।
4. पैग़ंबरे इस्लाम का सहिष्णुता पर क्या विचार था?
पैग़ंबरे इस्लाम का मानना था कि सहिष्णुता ही सच्ची धार्मिकता है। वे किसी भी प्रकार के फसाद और विभाजन को सख्त नापसंद करते थे और हमेशा शांति और भाईचारे का समर्थन करते थे।
5. पैग़ंबरे इस्लाम की शिक्षा आज के समय में कितनी प्रासंगिक है?