

उत्तर प्रदेश | यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट की संवैधानिकता को लेकर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित करार देते हुए उत्तर प्रदेश के 16000 मदरसों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट की संवैधानिकता को बरकार रखा है।
बताते चलें कि यूपी मदरसा एक्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने असंवैधानिक करार देते हुए मदरसे के बच्चों को अन्य विद्यालयों में प्रवेश दिलाने का फैसला दिया था।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में मदरसा एक्ट को धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन बताते हुए कहा था कि : “विभिन्न धर्मों के बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। धर्म के आधार पर उन्हें अलग-अलग प्रकार की शिक्षा मुहैया नहीं कराई जा सकती। अगर ऐसा किया जाता है तो यह धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा।
इसके साथ ही यूपी सरकार को एक स्कीम बनाने को कहा गया था, ताकि मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सके।
05 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार देने वाले इस फैसले पर रोक लगा दी थी। 22 अक्टूबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मदरसा एक्ट की वैधानिकता पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि : “हाईकोर्ट के फैसले से 17 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा। छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना ठीक नहीं है। देश में धार्मिक शिक्षा कभी भी अभिशाप नहीं रही है। धर्मनिरपेक्षता का मतलब है- जियो और जीने दो।”
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कामिल और फाजिल की डिग्री पर भी टिप्पणी की है। मदरसे से संबंधित लोगों में फैसले को लेकर खुशी साफ देखी जा सकती है अलबत्ता कामिल और फाजिल की डिग्री पर टिप्पणी को लेकर उनमें बेचैनी पाई जा रही है।
यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर विस्तृत जानकारी जल्द ही “द आवाज़” वेब पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संबंधित अपनी राय news.theawaaz@gmail.com पर भेजें आवश्यक निरीक्षण के बाद योग्य राय को स्टोरी में शामिल किया जाएगा।