
गोरखपुर। शुक्रवार की शाम मुस्लिम समाज के लोग आसमान पर नज़रें गड़ाए रहे, लेकिन माह-ए-रमजान के चांद का दीदार नहीं हुआ। उलमा किराम ने पुष्टि की है कि माह-ए-रमजान का चांद नजर नहीं आया है, इसलिए अब माह-ए-रमजान का पहला रोजा रविवार 2 मार्च से शुरु होगा। जबकि तरावीह की नमाज शनिवार 1 मार्च की रात से ही शुरु हो जाएगी। माह-ए-रमज़ान का पहला रोजा करीब 13 घंटा 07 मिनट का होगा।
उधर बाजार में सहरी एवं इफ्तार के सामान की दुकानें सजने लगी हैं। बाजारों में रौनक छा गई है। नखास, रेती, घंटाघर, शाह मारुफ सहित मुस्लिम बाहुल्य मुहल्लों की फिज़ा में अलग सी चमक दिख रही है। जो इस बात की तस्दीक कर रही है कि रमज़ान में बाजार भी गुलजार होने को तैयार है। सहरी व इफ्तारी के सामानों की खरीदारी तेज हो गई है। साहबगंज में खाद्य पदार्थों की खरीद फरोख्त बढ़ गई है। नखास पर सेवई, खजूर, टोपी व इत्र का जलवा है।
शनिवार को नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार, गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर, मदीना जामा मस्जिद रेती चौक, मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल, रेलवे म्यूजियम स्थित मस्जिद बिलाल सहित सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ी जाएगी। दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद व मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया आदि में भारी भीड़ उमड़ेगी। तकरीबन हर मस्जिद नमाजियों से खचाखच भरी नजर आएगी। मुसलमान माह-ए-रमज़ान का इस्तकबाल करने को बेताब है। शनिवार की शाम से रहमत व बरकत के नूर की बारिश शुरु हो जाएगी।
इस्लामी मामलों की जानकार अजरा जमाल ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम के पांच रुक्न (हिस्सों) मे से रोजा भी एक अहम रुक्न (हिस्सा) है। रमज़ान शरीफ में अल्लाह ने बंदों की रहनुमाई के लिए अपनी पाक किताब कुरआन शरीफ उतारी। इस माह कसरत से जकात, सदका व फित्रा निकालना चाहिए ताकि गरीब, यतीम, बेसहारा, बेवा सभी रमज़ान शरीफ व ईद की खुशियों में शामिल हों सकें। अगर किसी शख्स ने एक रोजेदार को इफ्तार कराया तो उस शख़्स को भी उस रोजेदार के बराबर सवाब मिलेगा। भले ही उसने एक घूंट पानी से ही रोजेदार का रोजा खुलवाया हो। रोजेदार के लिए दरिया की मछलियां दुआ करती हैं। रोजेदार के मुंह की बू अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद हैं। रोजेदार जन्नत में एक खास दरवाजे से दाखिल होगा।