गोरखपुर। एमए एकेडमी व मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के संयुक्त तत्वावधान में समर कैंप के चौथे दिन दिन नमाज का प्रैक्टिकल तरीका सिखाया गया। पोस्टर बनाने के गुर सिखाए गए। सभी बच्चों ने पहाड़, नदी, पेड़, पौधों के शानदार चित्र बनाए। बच्चों से सवाल जवाब भी किया गया। बेहतर जवाब देने वाले बच्चों को विद्यालय के प्रबंधक मुहम्मद आकिब अंसारी ने पुरस्कृत किया। बच्चों को कोंपल पत्रिका बतौर ईनाम दी गई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत सफियान ने की। नात-ए-पाक शिफा खातून, शिफा नूर व समीर ने पढ़ी। कारी मुहम्मद अनस रजवी ने नमाज का मुकम्मल तरीका शानदार अंदाज में प्रैक्टिकल के जरिए सिखाया। उन्होंने कहा कि नमाज पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आंखों की ठंडक है। जो इस्लाम में नमाज की अहमियत को दर्शाती है। इसका मतलब है कि नमाज, अल्लाह के साथ जुड़ाव और इबादत, इंसान को मानसिक शांति और खुशी प्रदान करती है। नमाज, न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह खुश होने का भी एक स्रोत है। नमाज से व्यक्ति को मानसिक शांति और आराम मिलता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रसेन, अम्बरीश व आकाश ने बच्चों को पोस्टर बनाने के गुर सिखाए। गीत भी गाए। प्रसेन ने कहा कि पोस्टर आधुनिक जीवन का हिस्सा है, इसलिए किसी भी संदेश को पोस्टर के माध्यम से अच्छी तरह से आमजन तक पहुंचाया जा सकता है। पोस्टर निर्माण हमेशा संप्रेषण के लिए एक उपयोगी माध्यम है। एक पोस्टर बनाने के लिए एक शीट या कागज, स्याही, रंग और ब्रश प्रयाप्त होते हैं। पोस्टर शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में, कहीं भी देखे जा सकते हैं। यह जनता से संवाद करने का एक बेहद लोकप्रिय माध्यम है। पोस्टर निर्माण किसी व्यक्ति को अभिव्यक्त करने वाला और बहिर्मुखी बनने में मदद कर सकता है। पोस्टर सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और व्यक्तिगत हर तरह के संदेश देते हैं। पोस्टर का मुख्य उद्देश्य पाठकों का ध्यान आकर्षित करना और एक संदेश पहुंचाना है। इसलिए, संदेश को संक्षिप्त और स्पष्ट रखें। पोस्टर में सरल और सहज भाषा का उपयोग करें। इस दौरान बेलाल अहमद, सैयद शम्स, सीमा परवीन, निदा फातिमा, सना, फिजा, खदीजा, अब्राहम, रहमत अली, सैयद फरहान अहमद कादरी आदि मौजूद रहे।