माह-ए-रमजान का दूसरा रोजा अल्लाह की हम्द व सना में बीता

Spread the love

गोरखपुर। सोमवार को माह-ए-रमजान का दूसरा रोजा अल्लाह की हम्द व सना में बीता। चारों तरफ खुशियों का समां है। लोगों के सरों पर टोपियां, हाथ में तस्बीह है। मस्जिदें भरी हुई हैं। घरों में भी इबादत हो रही है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत जारी है। सभी की जुबां पर सुब्हानअल्लाह, अलहम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर का वजीफा है। कसरत से कलमा पढ़ा जा रहा है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में दरुद व सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। अल्लाह के बंदे दिन में रोजा रख कर व रात में तरावीह की नमाज पढ़कर अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे है।

सोमवार की सुबह सभी ने सहरी खाई। दिन भर इबादत की। घरों में दोपहर से इफ्तार बननी शुरु हुई। शाम तक इफ्तार तैयार हो गई। लजीज पकवान दस्तरख्वान पर सजाए गए। सबने मिलकर दुआ की। तय समय पर सभी ने मिलकर रोजा खोला और अल्लाह का शुक्र अदा किया। मस्जिदों व मदरसों में तरावीह नमाज के लिए भीड़ उमड़ रही है। नमाज खत्म होने के बाद सहरी के सामानों की खरीदारी शुरु हो रही है। बाजारों व मुस्लिम मोहल्लों में देर रात तक रौनक बनी रही।

रमजान की रातों में इबादत से गुनाह होंगे माफ : कारी अनस

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मुहम्मद अनस रज़वी ने बताया कि अल्लाह तआला ने कुरआन-ए-पाक में फरमाया “ऐ ईमान वालों तुम पर रोजे फर्ज किए गए जैसे कि पिछलों पर फर्ज हुए कि तुम्हें परहेजगारी मिले”। मुसलमान सिर्फ अल्लाह की रजा के लिए साल मे एक महीना अपने खाने-पीने, सोने-जागने के समय में तब्दीली करता है। ईमान की वजह से और सवाब के लिए रमजान की रातों का कयाम (जाग कर इबादत) करेगा उसके अगले-पिछले गुनाह बख्श दिए जाते हैं। रमज़ान की सुबह-शाम अल्लाह व रसूल के जिक्र में गुजारें। दूसरों की मदद करें। नेक बनें और दूसरों को नेक बनने की दावत दें।

सहरी करना पैग़ंबरे इस्लाम की सुन्नत : डॉ. मुबस्सिर अली

डॉ. मुबस्सिर अली ने बताया कि रमजान में खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ऐसी चीजें खायें जिससे जिस्म को ताकत मिले। खजूर, फल व सादा खाना खायें। सादा पानी खूब पिएं। तली भुनी चीजें खानें से परहेज़ करें। अल्लाह का एहसान है कि उसने हमें रोजे जैसी अज़ीम नेमत अता की। सहरी की न सिर्फ इजाजत दी, बल्कि इसमें हमारे लिए ढे़रों सवाब भी रखा। सहरी में बरकत है। फज्र की अजान के दौरान खाने पीने की इजाजत नहीं है। अजान हो या न हो, आप तक आवाज पहुंचे या न पहुंचे सुबह सादिक होते ही आपको खाना-पीना बिल्कुल ही बंद करना होगा। किसी को ये गलतफहमी न हो जाए कि सहरी रोजे के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है। सहरी के बगैर भी रोजा हो सकता है। मगर जानबूझकर सहरी न करना ठीक नहीं है। एक अजीम सुन्नत से महरूमी है और ये भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं हैं। चंद खजूरें और पानी ही अगर ब नियते सहरी इस्तेमाल कर लें तब भी सुन्नत अदा हो जाएगी।

नन्हें रोजेदारों के हौसले बुलंद : अजरा, अदीबा, खदीजा, वरका, आयशा, ऐमन ने रखा रोजा

गोरखपुर। माह-ए-रमजान का फैजान जारी है। बड़ों के साथ साथ नन्हें रोजजदारों के हौसले भी बुलंद हैं। बड़ों के साथ बच्चे भी रोजा रखकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं।
छोटे बच्चों पर रोज़ा फ़र्ज़ नहीं है उसके बावजूद बच्चों ने जिद करके रोजा रख लिया। मां-बाप कहते रहे कि बेटा तुम छोटे हो, लेकिन बच्चों के आगे मां-बाप की एक न चली। बच्चों ने जिद करके सहरी खाई। अल्लाह की इबादत की। मां-बाप ने बच्चों के जज्बे को देखकर हौसला बढ़ाया। बच्चों ने नमाज़ पढ़ी। कुरआन शरीफ की तिलावत की। शाम में बच्चों के उत्साह को देखते हुए तमाम तरह के खाने बने। परिवार वालों के साथ बच्चों ने दुआ मांगकर खजूर से रोजा खोला। बच्चों की हौसला अफजाई के लिए परिवार वालों ने दुआ व तोहफा भी दिया। बच्चों की यह जिद इसी तरह पूरे रमज़ान तक जारी रहेगी।

बराईपार तेतरिया सहजनवां निवासी बशीर अहमद की 5 वर्षीय बेटी अजरा खातून ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा। तुर्कमानपुर निवासी हाजी जलालुद्दीन कादरी व फरजाना खातून की नौ वर्षीय बेटी खदीजा जलाल व सात वर्षीय वरका जलाल ने पहला रोजा रखकर खूब इबादत की। पहली व दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली खदीजा व वरका ने सुबह परिवार के साथ सहरी खाई। दिन भर इबादत की। बच्चियों की हिम्मत के आगे भूख प्यास पस्त नजर आई। शाम में जब इफ्तार का वक्त हुआ तो खदीजा व वरका ने परिवार के साथ रोजा खोला। बच्चियों को खूब सारे तोहफे व दुआ मिली। जिससे दिनभर की भूख प्यास खुशी में बदल गई।

वहीं सूर्य विहार के रहने वाले माहताब आलम व दरख्शां की नौ वर्षीय बेटी अदीबा माहताब ने पहला रोजा रखकर खूब इबादत की। खूब दुआ व तोहफे मिले।

पादरी बाजार की आठ वर्षीय बेटी ऐमन फातिमा ने पहला रोजा रखकर खूब इबादत की। वारिस सिद्दीकी की बेटी ऐमन ने उत्साह के साथ रोजा रखा। सभी ने उन्हें दुआ व तोहफों से नवाजा।

सहजनवां के अजीज अहमद की छह वर्षीय बेटी आयशा ने माह-ए-रमजान का पहला रोजा रखकर अल्लाह का शुक्र अदा किया। आयशा ने माता-पिता के साथ सेहरी खाई। पहला रोजा रखने से बच्ची के चेहरे पर भूख प्यास का असर साफ नजर आया। इफ्तार के समय तमाम तरह के पकवान व तोहफों ने दिनभर की भूख प्यास छूमंतर कर दी। आयशा ने खजूर से रोजा खोला और दुआ मांगी। आयशा के रोजा रखने से पूरे परिवार में खुशी का माहौल बना रहा।

  • Related Posts

    सीतापुर के पत्रकार की नृशंस हत्या के विरोध में इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने पैदल आक्रोश मार्च निकाला

    Spread the love

    Spread the loveमीडियाकर्मियों ने एक स्वर में उत्तर प्रदेश सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग की गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। सीतापुर में दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की…

    परिचर्चा : महिलाएं गर उठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा…

    Spread the love

    Spread the loveगोरखपुर। दिशा छात्र संगठन द्वारा ‘अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के विवेकानन्द लॉन में ‘अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस और स्त्री मुक्ति आन्दोलन की दिशा’ पर परिचर्चा रखी गयी।…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *