एपीसीआर की कानूनी सहायता से दो कैदी रिहा

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सौ से अधिक महिला कैदियों को गर्म मोजे वितरित किया गया

गोरखपुर। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) की आर्थिक सहायता से गुरुवार को जिला कारागार से चंदन उर्फ शैलेष मिश्रा पुत्र रामआसरे, देवरिया और राजकरन पुत्र गया प्रसाद, बाराबंकी को रिहा कराया गया। यह वह कैदी थे जो बहुत गरीब थे और साथ ही साथ इनके परिजनों से इनका कोई संपर्क नहीं था और अपना जुर्माना अदा नहीं कर सकते थे।

लखनऊ से आईं एपीसीआर की प्रतिनिधि मीना सोनी एवं गोरखपुर से एडवोकेट मोहम्मद राफे ने जेल में कैदियों से मुलाकात करके उन्हें एपीसीआर की गतिविधियों एंवं कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही साथ अधीक्षक जिला कारागार, जेलर और डिप्टी जेलर की मौजूदगी में एक सौ से अधिक महिलाओं को गर्म मोजे वितरित किए गए।

इस मौके पर कुछ महिलाओं ने जमानत के लिए कानूनी सहायता की मांग की और बताया कि वे अपने सरकारी वकीलों के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं। इस पर एपीसीआर ने उन्हें पूर्ण कानूनी सहायता का आश्वासन दिया। मीना सोनी ने कहा कि जेल एक अपवाद होना चाहिए, न कि नियम। यह टिप्पणी पहले ही कोर्ट द्वारा की जा चुकी है। उचित कानूनी सहायता न मिलने के कारण कई बंदियों की जमानत लंबित है, जिससे उनके अधिकारों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है। एपीसीआर ऐसे सभी बंदियों को मुफ्त विधिक सहायता उपलब्ध कराएगी जो किसी भी कारणवश अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं हैं। जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पाण्डेय, जेलर आलोक कुशवाहा एवं डिप्टी जेलर श्रीमती कृष्णा मिश्रा ने पूरे कार्यक्रम में भरपूर सहयोग किया एवं वितरण कार्यक्रम में मौजूद रहे साथ ही साथ एपीसीआर के कार्यों की सराहना की।

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