
तुर्कमानपुर में महिलाओं की 15वीं महाना महफ़िल
गोरखपुर। रविवार को मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महिलाओं की 15वीं महाना महफ़िल सजी। कुरआन-ए-पाक की तिलावत खुशी ने की। अध्यक्षता ज्या वारसी ने की।
मुख्य अतिथि मुफ्तिया गाजिया ख़ानम अमजदी ने कहा कि अल्लाह ने दुनिया में कमोबेश सवा लाख पैग़ंबरों को भेजा, लेकिन शब-ए-मेराज में सिर्फ आख़री नबी व रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ही अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह से मुलाकात हुई। पैग़ंबरे इस्लाम ने कई बार अल्लाह के दरबार में हाजिरी दी, कलाम किया और अल्लाह के दीदार से सरफ़राज़ हुए। तोहफे में पचास वक्त की नमाज़ मिली जो बाद में अल्लाह ने पांच वक्त की कर दी। पैग़ंबरे इस्लाम पर मेराज शरीफ की मुबारक रात में अहकाम-ए-खास नाजिल हुए। अल्लाह ने पैग़ंबरे इस्लाम को अज़ीम इज्जतो वकार से नव़ाजा। सात आसमानों की सैर कराई गई। जन्नत व दोजख दिखाई गई। तमाम अज़ीम पैगंबरों व फरिश्तों से पैग़ंबरे इस्लाम की मुलाकात हुई। शब-ए-मेराज का जिक्र कुरआन व हदीस की बेशुमार किताबों में कसरत के साथ है।
संचालन करते हुए फलक खातून व शिफा खातून ने कहा कि मेराज की रात में पैग़ंबरे इस्लाम ने रात के एक भाग में मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक़्सा तक यात्रा की, जिसका वर्णन कुरआन में अल्लाह ने सूरह बनी इस्राइल में किया है। मस्जिद-ए-अक़्सा से पैग़ंबरे इस्लाम सात आसमानों की सैर पर गए। आसमानी यात्रा को मेराज कहा जाता है। इसका वर्णन कुरआन में अल्लाह ने सूरह नज्म में किया है और अन्य बातें हदीसों में विस्तृत रूप में बयान हुई हैं।
हम्द व नात ज़्या, उमरा, माहिरा, साहिबा, अल्बिया, फाइजा ने पेश की। हदीस-ए-पाक साहिबा, उमरा, नूरी ने पेश की। अंत में दरूद ओ सलाम पढ़कर मुल्क में अमन की दुआ मांगी गई। महफ़िल में जिक्रा शेख़, अख्तरुन निसा, शबाना खातून, रजिया, अस्गरी खातून, आस्मां खातून, किताबुन निसा, तस्मी, फलक, नूर अज्का, आलिया, खुशी नूर, मुस्कान, तैबा नूर आदि मौजूद रहीं।