शब-ए-बरात में अल्लाह की खास रहमत उतरती है : मुफ्तिया गाजिया ख़ानम

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तुर्कमानपुर में महिलाओं की 16वीं महाना महफ़िल

गोरखपुर। रविवार को मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महिलाओं की 16वीं महाना महफ़िल सजी। कुरआन-ए-पाक की तिलावत अदीबा फातिमा ने की। अध्यक्षता ज्या वारसी ने की।

मुख्य अतिथि मुफ्तिया गाजिया ख़ानम अमजदी ने कहा कि इस्लामी कैलेंडर के शाबान माह की 15वीं तारीख की रात को शब-ए-बरात के नाम से जाना जाता है। शब-ए-बरात का अर्थ होता है छुटकारे की रात यानी गुनाहों से निजात की रात। जो इस बार 13 फरवरी को पड़ रही है। हदीस शरीफ़ में आया है कि शाबान की 15वीं शब (रात) को कयाम (इबादत) करो और इसके दिन का रोज़ा रखो। यह रात बड़ी रहमत व बरकत वाली है। इस दिन मुसलमान अल्लाह का ज़िक्र कसरत के साथ करें, क़ज़ा व नफ्ल नमाज़, रोज़ा, तस्बीह व क़ुरआन की तिलावत करें। इस रात बंदों पर अल्लाह की खास रहमत उतरती है। इस रात बाइक स्टंट न करें। बेवजह न घूमें। आतिशबाज़ी बिल्कुल न करें।

संचालन करते हुए फलक खातून व कनीज़ फातिमा ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में शब-ए-बरात की बड़ी अहमियत बयान की गई है। खूब इबादत करें। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। पुरुष मस्जिद व घर में रहकर इबादत करें। औरते घरों में रहकर ही नमाज अदा करें। आतिशबाज़ी बिल्कुल भी न की जाए। बेवजह देर रात तक न घूमें। फिजूल काम बिल्कुल भी न करें।

हम्द व नात ज्या, कनीज़, शाजिया, शिफा खातून ने पेश की। हदीस-ए-पाक सैयदा, हिफ्जा करीम, आसिया ने पेश की।‌ अंत में दरूद ओ सलाम पढ़कर मुल्क में अमन की दुआ मांगी गई। महफ़िल में शबाना खातून, किताबुन्निसा, फातिमा, आस्मां खातून, रुखसाना, नूरजहां, जिक्रा शेख़, अख्तरुन निसा, शबाना खातून, रजिया, अस्गरी खातून, आस्मां खातून, किताबुन निसा, तस्मी, फलक, नूर अज्का, आलिया आदि मौजूद रहीं।

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