गोरखपुर। माह-ए-रमजान में रोजेदारों के रूह व जिस्म की ट्रेनिंग जारी है। रमजान का दूसरा अशरा खत्म होने वाला है। रोजेदार अल्लाह की रजा के लिए रोजा रखकर, नमाज पढ़कर व मालिके निसाब जकात व फित्रा अदा कर अपने व मुल्क के लिए दुआ मांग रहे हैं। बुधवार को 18वां रोजा मुकम्मल हो गया। रोजेदारों ने भरपूर इबादत की। माह-ए-रमज़ान में हर तरफ रहमत व नूर की बारिश हो रही है। तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का चंद दिनों के फासले पर है। रमजान के अंतिम दस दिन की पांच रातों यानी 21, 23, 25, 27 व 29 में से एक शबे कद्र की रात है। जिसमें इबादत करने पर बेशुमार सवाब मिलता है। वहीं रमजान के दस दिन शहर की तमाम मस्जिदों में एतिकाफ भी होगा। मस्जिद नमाजियों से गुलजार है।
सोशल मीडिया पर भी रमजान की बहारें हैं। कुरआन-ए-पाक की आयत, हदीस-ए-पाक व दुआ एक दूसरे से शेयर की जा रही है, साथ ही जकात व फित्रा जरूरतमंदों को देने की अपील भी हो रही है। ऑनलाइन तकरीर व नात-ए-पाक भी सुनी जा रही है। व्हाटसएप ग्रुप पर रमजान के मसले मसाइल बताए जा रहे हैं। ईद की खरीदारी शुरु हो चुकी है। घंटाघर, रेती, गीता प्रेस, गोलघर, शाह मारूफ आदि जगहों पर ईद के लिए खरीदारी हो रही है।
रमजान मुहब्बत का पैगाम देता है : आसिफ महमूद
जमुनहिया बाग गोरखनाथ के शिक्षक आसिफ महमूद ने कहा कि रमजान मुहब्बत का पैगाम देता है। अल्लाह ने इस पाक महीने में हर नेक बंदे को रहमत व बरकत से नवाजने का वादा किया है। रमजान में रोजेदार के दिल में अल्लाह प्यार का सैलाब भरने के साथ दूसरों के लिए हमदर्दी भी देता है। रोजा रखने से दिल को सुकून और रूह को ताजगी मिलती है। बुरी आदतों से इंसान दूर होता है और नेक राह पर चलने को प्रेरित होता है। खुद को अल्लाह की राह में समर्पित कर देने का प्रतीक पाक महीना रमजान न सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिश लाता है बल्कि समूची मानव जाति को प्रेम, भाईचारे और इंसानियत का संदेश भी देता है।
अपने गुनाहों की रो-रो कर माफी मांगें : मो. आजम
मुहल्ला खोखर टोला के शिक्षक मोहम्मद आज़म ने बताया कि रमजान का दूसरा अशरा खत्म होने वाला है। हमें अल्लाह से अपने गुनाहों की रो-रो कर माफी मांगनी चाहिए। रमजान का तीसरा अशरा जहन्नम की आग से अल्लाह की पनाह मांगने का है। तीसरे अशरे में शबे कद्र जैसी अजीम नेमत है। जिसमें इबादत करने पर बहुत ज्यादा सवाब मिलता है। रमजान के अंतिम दस दिन का एतिकाफ करना पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है।
रोजे की हालत में शुगर टेस्ट करा सकते हैं : उलमा
रमजान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर बुधवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा।
1. सवाल : क्या बेवा (विधवा) औरत ईद पर नए कपड़े पहन सकती है?
जवाब : इद्दत के दिन गुजारने के बाद ईद पर नए कपड़े भी पहन सकती हैं और हर तरह की जायज खुशी में भी शरीक हो सकती हैं इसमें कोई हर्ज नहीं है।
2. सवाल : रोजे की हालत में शुगर टेस्ट करा सकते हैं?
जवाब : जी करा सकते हैं।
3. सवाल : रोजे की हालत में कॉटन इयर बड्स से कान साफ कर सकते हैं?
जवाब : जी कर सकते हैं। इसमें कोई हर्ज नहीं।
4. सवाल : इमामे तरावीह को देने के लिए लिए गए चंदे को मस्जिद ही के किसी और काम में इस्तेमाल कर सकते हैं?
जवाब : नहीं। चंदा जिस काम के लिए लिया गया है उसी में इस्तेमाल करेंगे बगैर देने वालों की इजाजत के किसी दूसरे काम में इस्तेमाल करना जायज नहीं।