होलिका दहन में न डाले प्लास्टिक, टॉयर और कचरा

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हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल ने महानगरवासियों से की अपील

गोरखपुर। होली का त्योहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ हमें पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए। होलिका दहन के समय प्लास्टिक, टायर, और कचरा जलाना न केवल प्रदूषण बढ़ाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है।  

वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल ने महानगरवासियों से अपील किया है कि होलिका में प्लास्टिक, टायर और कचरा जलाने से वायु प्रदूषित होता है। प्लास्टिक और टायर जलाने से जहरीली गैसें निकलती हैं, जो हवा को विषैला बना देती हैं। इनसे निकलने वाला धुआं सांस की बीमारियों, एलर्जी और आंखों में जलन पैदा कर सकता है। इसके अतिरिक्त प्लास्टिक और रसायनों के जलने से मिट्टी और जलस्रोत भी दूषित होते हैं। यहीं नहीं ऐसा करने से पौराणिक सनातन परंपरा का उल्लंघन भी होता है। होलिका दहन शुद्ध लकड़ी, गोबर के उपले और प्राकृतिक सामग्री से करना चाहिए, न कि हानिकारक वस्तुओं से। उन्होंने सुझाव दिया कि होलिका दहन में उपले और लकड़ी का इस्तेमाल करें। उन्होंने नगर निगम और जिला प्रशासन से भी अपील किया है कि इस बाबत जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। स्कूल कालेजों में बच्चों को होलिका दहन का सही तरीका समझाया जाए। उन्होंने कहा कि हमारी थोड़ी सी जागरूकता पर्यावरण और समाज के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकती है। इस होली प्रकृति को भी खुश रखें।

 

  • Ahmad Atif

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