24वां रोजा मुकम्मल : चारों ओर सहरी-इफ्तार का नूरानी समां

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गोरखपुर। माह-ए-रमजान में की गई इबादत व नेकी का सवाब कई गुना बढ़ कर मिलता है, इसीलिए अल्लाह के बंदे रोजा, नमाज, जकात, सदका-ए-फित्र, एतिकाफ आदि के जरिए खूब नेकी बटोर रहे हैं। वहीं बंदों द्वारा शबे कद्र की ताक रातों में जागकर खूब इबादत की जा रही है। भाईचारगी बढ़ाने के लिए सामूहिक इफ्तार की दावतें हर जगह आम हैं। कुरआन-ए-पाक की तिलावत मस्जिद व घरों में हो रही है। पुरुषों की तरह महिलाएं इबादत के साथ किचन व बाजार की जिम्मेदारी भी उठा रही हैं। 

 

इस वक्त रेती, शाह मारुफ, उर्दू बाजार, घंटाघर, जाफरा बाजार, गीता प्रेस रोड, गोलघर, गोरखनाथ आदि बाजारों में मुस्लिम महिलाओं को खरीदारी करते आसानी से देखा जा सकता है। ईद के लिए जमकर खरीदारी हो रही है। शाह मारुफ में ईद के लिए सजा दस दिनों वाला अस्थायी बाजार गुलजार है। मंगलवार को 24वां रोजा खैर के साथ बीता। बड़े तो बड़े बच्चे भी रोजा रखकर इबादत में मसरूफ हैं। 

 

शाम को दस्तरख्वान पर तमाम तरह के खाने, शर्बत रोजेदारों का इस्तकबाल करते नजर आ रहे हैं। हदीस शरीफ के मुताबिक रोजेदार के लिए दरिया की मछलियां भी दुआ करती हैं। सहरी व इफ्तार के समय नूरानी समां चारों तरफ नजर आ रहा है।

 

एडवोकेट मोहम्मद आजम ने कहा कि जिस तरह हम रोजे में खाने-पीने और अन्य कामों से अल्लाह के हुक्म की वजह से रुके रहते हैं उसी तरह हमारी पूरी ज़िंदगी अल्लाह के अहकाम के मुताबिक होनी चाहिए। हमारी रोजी रोटी और हमारा लिबास हलाल कमाई का हो। हमारी ज़िंदगी का तरीका पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा किराम वाला हो ताकि हमारी रूह हमारे जिस्म से इस हाल में जुदा हो कि हमें, हमारे वालिदैन और सारे इंसान व जिन्नात का पैदा करने वाला अल्लाह हमसे राजी व खुश हो। दारे फानी से दारे बका की तरफ कूच के वक्त अगर हमारा अल्लाह हमसे राजी व खुश है तो इंशाअल्लाह हमेशा-हमेशा की कामयाबी हमारे लिए मुकद्दर होगी कि इसके बाद कभी भी नाकामी नहीं है।

ईद के लिए सेवईं का बाजार तैयार

 

ईद में चंद दिन बचे हुए हैं। सेवईं की दुकानें बाजार में गुलजार हैं। रोजे में खजूर की जहां मांग हो रही है, वहीं मीठे के तौर पर सेवईं भी इफ्तार व सहरी के वक्त रोजेदार इस्तेमाल कर रहे हैं। सेवईं का बाजार पूरी तरह से सज चुका है। जहां मोटी, बारीक, लच्छेदार के साथ कई वेरायटी की सेवईं मौजूद हैं, जो क्वालिटी और अपने नाम के मुताबिक डिमांड में हैं। 

 

उर्दू बाजार स्थित ताज सेवईं सेंटर के मो. आरिफ व मो. कैस ने बताया कि उनके यहां छड़, सादी, छत्ते वाली, किमामी, बनारसी, भुनी, लाल लच्छा, सफेद लच्छा, बनारसी लच्छा, सूतफेनी, रूमाली, दूध फेनी सेवईं बिक रही है। ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा में सेवईं की जमकर बिक्री होती है। मो. कैस की मानें तो इस वक्त सबसे ज्यादा डिमांड में बनारसी किमामी सेवईं है, जोकि हाथों-हाथ बिक जा रही है। 

 

तुर्कमानपुर के मनोव्वर अहमद ने बताया कि महानगर में फुटकर सेवईं की दुकान भी अपने शबाब पर है। बाजार में तरह-तरह की सेवईं मौजूद हैं, जो लोगों के आकषर्ण का केंद्र बनी हुई है। बाहर से भी व आस-पास के क्षेत्रों से भी लोग खरीदारी करने शहर आ रहे हैं। तोहफे के रूप में रिश्तेदारों व पास पड़ोस में भी सेवईं भेजी जा रही हैं। गरीब जरूरतमंदों में भी सेवईं दी जा रही है। 

इलाहीबाग के अहमद आतिफ ने बताया कि ईद में सेवईं का अपना महत्व होता है। रमजान में पूरे एक माह सेवईं की बिक्री होती है। महानगर में विभिन्न क्षेत्रों में सेवईं की बिक्री हो रही है। उर्दू बाजार, नखास चौक, घंटाघर, जाफरा बाजार, गोरखनाथ, रुस्तमपुर आदि स्थानों पर सेवईं की ब्रिकी तेज है।

 

सिक्योरिटी डिपॉजिट में जमा रकम पर जकात लाजिम : उलमा

 

रमजान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर मंगलवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। 

 

1. सवाल : सिक्योरिटी डिपॉजिट में रखी रकम पर जकात का क्या हुक्म है? 

जवाब : सिक्योरिटी डिपॉजिट में रखी रकम पर भी जकात फर्ज़ है। 

 

2. सवाल : क्या जकात रमजान में ही निकाली जा सकती है? 

जवाब : जकात का ताल्लुक रमजान से नहीं बल्कि जकात की अदाएगी निसाब भर माल पर साल पूरा होने पर फर्ज़ हो जाती है। हां, अगर साल रमजान के बाद पूरा होता हो तो साल पूरा होने से पहले रमजान ही में दे दे तो इसमें सवाब ज्यादा है। 

 

3. सवाल : भूल कर कुछ खा लिया तो रोजा टूटेगा या नहीं? 

जवाब : नहीं। रोजा याद न होने की सूरत में भूल कर खाने से रोजा नहीं टूटता। हां याद आने पर फौरन रुक जाएं बल्कि मुंह में मौजूद लुकमा भी निकाल दें।

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