देश में 50 से अधिक दवाइयाँ गुणवत्ता मानकों पर विफल, पैरासीटामॉल और मधुमेह रोधी दवाएँ भी शामिल

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देश में 50 से अधिक दवाइयाँ गुणवत्ता मानकों पर विफल, पैरासीटामॉल और मधुमेह रोधी दवाएँ भी शामिल

नई दिल्ली। हाल ही में देश के दवा नियामक प्राधिकरण, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 50 से अधिक दवाओं को मानक गुणवत्ता से रहित (NSQ) घोषित किया गया है। इन दवाइयों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली पैरासीटामॉल, विटामिन सप्लीमेंट्स और मधुमेह रोधी गोलियाँ शामिल हैं। इस रिपोर्ट ने देश में दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं

सीडीएससीओ की रिपोर्ट में कौन-कौन सी दवाइयाँ शामिल हैं?

सीडीएससीओ की ओर से जारी रिपोर्ट में प्रमुख भारतीय दवा निर्माता कंपनियों की दवाओं को चिन्हित किया गया है। इन कंपनियों में अल्केम लेबोरेटरीज़, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, हेटेरो लैब्स लिमिटेड, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल लिमिटेड, और नेस्टर फार्मास्युटिकल लिमिटेड जैसी कंपनियाँ शामिल हैं। ये कंपनियाँ देशभर में अपनी उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इस बार कुछ उत्पाद मानकों पर खरे नहीं उतर पाए। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि इन कंपनियों की दवाइयों का व्यापक उपयोग किया जाता है।

विटामिन और सप्लीमेंट्स भी गुणवत्ता परीक्षण में फेल

विटामिन डी3, कैल्सियम सप्लीमेंट्स, और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसी दवाइयाँ जिन्हें रोजाना लाखों लोग अपनी सेहत सुधारने के लिए इस्तेमाल करते हैं, वे भी गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाई गईं। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ता जो सप्लीमेंट्स ले रहे हैं, वे उन्हें वह पोषण या स्वास्थ्य लाभ नहीं दे रहे हैं जिसकी उम्मीद की जा रही थी। ये परिणाम दर्शाते हैं कि सिर्फ दवा ही नहीं, बल्कि सप्लीमेंट्स की गुणवत्ता की भी जांच अत्यधिक आवश्यक है।

मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दवाएँ भी सूची में शामिल

इस रिपोर्ट में सिर्फ विटामिन और सप्लीमेंट्स ही नहीं, बल्कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दवाएँ भी शामिल हैं। जैसे टेल्मिसटर्न, जो उच्च रक्तचाप के लिए दी जाती है, और एमॉक्सिसिलिन और पोटेशियम क्लैवुलनेट टैबलेट्स, जो एक प्रमुख एंटीबायोटिक है, को भी मानक गुणवत्ता से रहित घोषित किया गया है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए यह समाचार अत्यधिक चिंता का विषय है, क्योंकि इन दवाओं का उपयोग उन्हें अपने स्वास्थ्य को नियंत्रित रखने के लिए करना पड़ता है।

विघटन और जल परीक्षण में विफल दवाइयाँ

रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ दवाइयाँ विघटन परीक्षण में विफल रहीं। विघटन परीक्षण से यह देखा जाता है कि दवा कितनी जल्दी शरीर में घुलती है और कितनी प्रभावी होती है। इसके अलावा, कुछ दवाएँ जल परीक्षण में भी फेल पाई गईं। यह परीक्षण दवा की नमी सहनशीलता को मापता है, जिससे पता चलता है कि दवा कितनी जल्दी खराब हो सकती है। इन परीक्षणों में विफल दवाइयाँ उपयोगकर्ता के लिए असुरक्षित हो सकती हैं और उनका सही प्रभाव नहीं हो पाता।

नकली दवाओं का बढ़ता खतरा

इस रिपोर्ट में कुछ दवाओं को नकली के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है। नकली दवाएँ न केवल मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होती हैं, बल्कि यह पूरी दवा प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करती हैं। नकली दवाओं के कारण न केवल मरीजों को इलाज में समस्या होती है, बल्कि उनके स्वास्थ्य को भी भारी नुकसान पहुँच सकता है।

दवाइयों की हर महीने होती है जांच

सीडीएससीओ हर महीने एक सूची जारी करता है, जिसमें मानक गुणवत्ता रहित (NSQ) दवाओं को चिन्हित किया जाता है। यह एक नियमित प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में उपलब्ध दवाएँ उच्च गुणवत्ता वाली हों और मरीजों की सेहत को किसी भी प्रकार का खतरा न हो। हालांकि, इस महीने की सूची में जिन दवाओं को शामिल किया गया है, उनमें कुछ प्रसिद्ध कंपनियों की दवाएँ भी शामिल हैं, जिससे लोगों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है।

अगस्त 2024 के लिए एनएसक्यू अलर्ट: कौन से राज्य शामिल?

इस बार की सूची में 50 से अधिक दवाओं को मानक से रहित घोषित किया गया है, और यह रिपोर्ट देश के विभिन्न राज्यों में उपलब्ध दवाइयों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाती है। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, और उत्तराखंड जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस सूची के अनुसार दवाइयों की गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतर पाई है।

कुछ राज्यों में कम रिपोर्टिंग का मुद्दा

रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं हो पाया है। इस कमी के कारण दवा गुणवत्ता की निगरानी प्रक्रिया कमजोर हो जाती है। रिपोर्टिंग की कमी का मतलब है कि इन क्षेत्रों में बाजार में बिकने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर पूरी तरह से नज़र नहीं रखी जा रही है।

दवाइयों की गुणवत्ता पर सवाल

जब ऐसी प्रतिष्ठित कंपनियों की दवाएँ गुणवत्ता परीक्षण में विफल हो जाती हैं, तो यह आम उपभोक्ता के लिए एक बड़ा सवाल है। यह स्थिति बताती है कि दवाओं की गुणवत्ता को लेकर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उपभोक्ताओं को भरोसा दिलाने के लिए सरकार और दवा कंपनियों को साथ मिलकर काम करना होगा ताकि इस प्रकार की समस्याएँ फिर से सामने न आएं।

उपभोक्ताओं के लिए क्या संदेश है?

इस रिपोर्ट के बाद, उपभोक्ताओं को विशेष रूप से सतर्क रहना जरूरी है। यदि आप नियमित रूप से किसी दवा का उपयोग कर रहे हैं, तो उसकी गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त करें। अगर आपको कोई संदेह है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें कि क्या आपकी दवा सुरक्षित है या नहीं। नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाओं का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

दवा नियामक प्राधिकरण की जिम्मेदारी

दवा नियामक प्राधिकरण, जैसे कि सीडीएससीओ, दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी और सुनिश्चित करने का काम करता है। इन रिपोर्टों के जरिए वे यह सुनिश्चित करते हैं कि दवाओं का उत्पादन सही तरीके से हो और बाजार में बेची जाने वाली दवाएँ मरीजों के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हों। हालांकि, दवा कंपनियों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी दवाएँ सभी मानकों पर खरी उतरें।

दवाओं की सुरक्षा पर क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

सरकार को दवा सुरक्षा और गुणवत्ता पर और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए दवा निरीक्षण की प्रक्रिया को और सख्त करना होगा और जिन कंपनियों की दवाएँ गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरतीं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही उपभोक्ताओं को जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है ताकि वे नकली या खराब गुणवत्ता वाली दवाओं का इस्तेमाल न करें।

उपभोक्ता क्या कर सकते हैं?

आखिरकार, यह उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी भी है कि वे अपनी दवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। दवा खरीदते समय उसकी पैकेजिंग, एक्सपायरी डेट, और उसकी गुणवत्ता की जाँच करें। यदि आपको कोई समस्या या शंका है, तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें और विकल्पों पर विचार करें।

निष्कर्ष

सीडीएससीओ द्वारा जारी यह रिपोर्ट दर्शाती है कि दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं। यह रिपोर्ट सिर्फ एक चेतावनी नहीं है, बल्कि एक अपील भी है कि दवा कंपनियों, सरकार, और उपभोक्ताओं को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए ताकि हर एक मरीज को उच्च गुणवत्ता वाली और सुरक्षित दवाएँ मिल सकें। नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।


FAQs

  1. सीडीएससीओ का क्या कार्य होता है? सीडीएससीओ (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) का कार्य देश में बेची जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा की निगरानी करना है। यह सुनिश्चित करता है कि दवाएँ मानक के अनुसार हों और उनका सही असर हो।

  2. रिपोर्ट में पैरासीटामॉल जैसी आम दवाओं को क्यों शामिल किया गया है? पैरासीटामॉल की कुछ खेप मानक गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही हैं, जिसके कारण इसे इस सूची में शामिल किया गया है। यह दवाएँ अपेक्षित प्रभाव नहीं दिखा रही थीं, इसलिए इन्हें मानक से रहित घोषित किया गया है।

  3. विघटन परीक्षण क्या होता है और इसका क्या महत्व है? विघटन परीक्षण से यह देखा जाता है कि दवा शरीर में कितनी जल्दी घुलती है और कितनी प्रभावी होती है। यदि दवा इस परीक्षण में असफल होती है, तो इसका मतलब है कि वह शरीर में ठीक से घुलकर अपना असर नहीं दिखा रही है।

  4. उपभोक्ता नकली दवाओं से कैसे बच सकते हैं? उपभोक्ताओं को हमेशा प्रतिष्ठित फार्मेसियों से ही दवाएँ खरीदनी चाहिए और दवा की पैकेजिंग, एक्सपायरी डेट और ब्रांड की जांच करनी चाहिए। किसी भी संदेह की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

  5. इस रिपोर्ट से मरीजों पर क्या असर पड़ेगा? इस रिपोर्ट के बाद, मरीजों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्हें अपनी दवाओं की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए और यदि उनकी दवा इस सूची में शामिल है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

  • Ahmad Atif

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