
गोरखपुर। बहादुर शाह ज़फर कॉलोनी, बहरामपुर में नौजवान मिलाद कमेटी द्वारा आयोजित जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी में इस्लाम की तालीमात और पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं पर जोर दिया गया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी नसीमुल्लाह द्वारा की गई, जिसने कार्यक्रम की शुरुआत को रुहानी और दिल को सुकून देने वाला बना दिया।
मुसलमानों की परेशानी का कारण: शिक्षा से दूरी
मुख्य वक्ता मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन ने मुसलमानों की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "आज मुसलमानों के पास तेल और अन्य खज़ाने हैं, फिर भी मुसलमान दुनिया में ज़ुल्म का शिकार हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हमने पैग़ंबरे इस्लाम की शिक्षाओं से दूरी बना ली है। जब तक हम अपने अंदर दीनी सुधार नहीं लाते, तब तक हमारी स्थिति में बदलाव संभव नहीं है।" उन्होंने सहाबा किराम की दीनी भावना को अपनाने और क़ुरआन व हदीस पर अमल करने की अपील की।

इस्लाम तौहीद और इंसानियत की तालीम देता है
विशिष्ट वक्ता क़ारी मो. अनस रज़वी ने इस्लाम की मूल शिक्षा पर प्रकाश डाला और कहा, "इस्लाम तौहीद और इंसानियत की तालीम देता है। इस्लाम की शिक्षा में प्यार, भाईचारगी और इंसानियत की भलाई छिपी है।" उन्होंने कहा कि इस्लाम की तालीम हर जगह फैल रही है क्योंकि इसकी बुनियादी शिक्षाएं इंसानियत के फ़ायदे के लिए हैं। "जो मुहब्बत और भाईचारा इस्लाम सिखाता है, वह किसी और धर्म में देखने को नहीं मिलता," उन्होंने कहा।
पैग़ंबरे इस्लाम की सुन्नत पर अमल जरूरी
मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी ने अवाम से अपील की कि वे अल्लाह की इबादत करें और पैग़ंबरे इस्लाम के बताए हुए रास्ते पर चलें। उन्होंने कहा, "मस्जिदों को सजदों से आबाद करें और बुराई, नशे और फ़िज़ूल की बातों से दूर रहें। पैग़ंबरे इस्लाम की शिक्षाओं पर अमल करिए, ताकि हम दुनिया वालों के लिए बेहतरीन आदर्श बन सकें।"
कार्यक्रम का समापन और दुआ
जलसे के अंत में सलातो सलाम पढ़ा गया और मुल्क में अमन, सुख, और शांति के लिए दुआ की गई। पूरे जलसे में एकता और भाईचारे का माहौल देखने को मिला, जहां सभी लोगों ने एकजुट होकर इस्लाम की शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में स्थानीय समाजसेवी और प्रतिष्ठित शख्सियतें जैसे वरिष्ठ शिक्षक मुख्तार अहमद, परवेज आलम, मो. शहबाज, रेहान अहमद, और कई अन्य ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मौलाना सद्दाम हुसैन, हाफिज रहमत अली, मौलाना महमूद रज़ा, और हाफिज हम्माद जैसे धार्मिक नेताओं ने भी जलसे की शोभा बढ़ाई।
निष्कर्ष:
जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी के इस अवसर पर वक्ताओं ने इस्लाम की शिक्षा और पैग़ंबरे इस्लाम की सुन्नत पर जोर दिया। वक्ताओं ने मुसलमानों से अपने जीवन में बदलाव लाने और दीन की शिक्षाओं का पालन करने की अपील की। कार्यक्रम के दौरान दी गई तालीम ने उपस्थित लोगों को आत्म-चिंतन के लिए प्रेरित किया और एकता व इंसानियत का संदेश दिया।
FAQs:
1. जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस्लाम की शिक्षाओं को फैलाना और पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर अमल करने का संदेश देना।
2. मुख्य वक्ता मुफ्ती अख़्तर हुसैन ने क्या संदेश दिया?
मुफ्ती अख़्तर हुसैन ने मुसलमानों से पैग़ंबर की शिक्षाओं को अपनाने और सहाबा किराम की दीनी भावना को जागृत करने की अपील की।
3. कारी मो. अनस रज़वी ने इस्लाम के बारे में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि इस्लाम तौहीद और इंसानियत की तालीम देता है और इसकी सभी शिक्षाएं इंसानियत की भलाई के लिए हैं।
4. मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी का मुख्य संदेश क्या था?