गोरखपुर के निलंबित सिपाही पंकज के समर्थन में उठी आवाज: राजनीतिक दलों और संगठनों की मुहिम

गोरखपुर के निलंबित सिपाही पंकज के समर्थन में उठी आवाज: राजनीतिक दलों और संगठनों की मुहिम
Spread the love
गोरखपुर के निलंबित सिपाही पंकज के समर्थन में उठी आवाज: राजनीतिक दलों और संगठनों की मुहिम
the awaaz logo हाइलाइट्स

गोरखपुरशहर में सस्पेंड किए गए सिपाही पंकज कुमार के पक्ष में जनसमर्थन की एक बड़ी लहर खड़ी हो गई है। सिपाही पंकज पर डॉक्टर अनुज सरकारी के चैंबर में हमला करने का आरोप है, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। अब विभिन्न राजनीतिक दल और संगठनों ने पंकज के समर्थन में आंदोलन छेड़ दिया है और डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह मामला धीरे-धीरे शहर की गलियों से लेकर राजनीतिक मंचों तक पहुंच चुका है, जहां न्याय और इंसाफ की मांग जोर पकड़ रही है।

पंकज कुमार पर क्या है आरोप?

गुरुवार को सिपाही पंकज कुमार गोरखपुर में स्थित डॉक्टर अनुज सरकारी के निजी अस्पताल पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपनी पत्नी के लिए अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट ली। विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब पंकज ने जांच की फीस को लेकर आपत्ति जताई। पंकज का कहना था कि खलीलाबाद में जांच की फीस ₹800 थी जबकि यहां ₹1100 ली जा रही थी। इस विवाद ने इतना गंभीर रूप ले लिया कि अस्पताल के कर्मचारियों और बाउंसरों ने पंकज को पीट डाला।

पिटाई से आहत पंकज ने अगले ही दिन गुस्से में डॉक्टर अनुज सरकारी पर हथौड़े से हमला कर दिया। इस घटना के बाद पंकज को गिरफ्तार कर लिया गया और वे फिलहाल जेल में हैं। डॉक्टर अनुज की शिकायत पर पुलिस ने पंकज के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

कोर्ट में पेशी और समर्थकों की भीड़

मंगलवार को पंकज कुमार की कोर्ट में पेशी होनी थी, लेकिन अदालत परिसर में भारी भीड़ को देखते हुए उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराई गई। कोर्ट के आसपास सुबह से ही सिपाही के परिवार, रिश्तेदारों और समर्थकों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। जब लोगों को वीडियो पेशी की जानकारी मिली, तो वे धीरे-धीरे अपने घर लौटने लगे। कोर्ट ने पंकज की अगली पेशी 22 अक्टूबर के लिए तय की है।

राजनीतिक दलों का समर्थन और न्याय की मांग

सिपाही पंकज के समर्थन में कई राजनीतिक दल खुलकर सामने आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी देवेंद्र सिंह, सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भानू पांडेय, मंत्री गिरजेश मणि और पूर्व मंत्री धीरेंद्र दुबे जैसे नेताओं ने ADG और SSP से मिलकर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि पंकज के साथ अस्पताल में जो हुआ, वह पूर्ण रूप से गलत था और डॉक्टर और उनके स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

इसी तरह समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी पंकज के समर्थन में रुख अपनाया है। सपा के नेता राजेश यादव उर्फ राजू के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने काली पट्टी बांधकर जिलाधिकारी कार्यालय तक पैदल मार्च किया और डीएम को ज्ञापन सौंपा। उनका कहना है कि पंकज के परिवार के साथ न्याय होना चाहिए और डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सिपाही पंकज और पत्नी अदिति

सोशल मीडिया पर बढ़ती समर्थन की लहर

सोशल मीडिया भी इस मामले में पीछे नहीं रहा। मंगलवार को बड़ी संख्या में लोगों ने पंकज कुमार के समर्थन में अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। कई लोगों ने सिपाही की पीड़ा और उनके प्रति सहानुभूति जताते हुए न्याय की मांग की। कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने पंकज के साथ हुए अन्याय की आलोचना की और इस मामले को गहराई से जांचने की मांग की।

मेडिकल रिपोर्ट ने और बढ़ाई चर्चा

निलंबित सिपाही पंकज की मेडिकल रिपोर्ट सामने आने के बाद मामला और गर्म हो गया है। रिपोर्ट में पंकज के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान पाए गए हैं, जिसमें सिर, कान और पीठ पर गंभीर चोटें शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पंकज को डॉक्टर अनुज सरकारी के चैंबर में दो बार घायल किया गया था। यह रिपोर्ट उनके समर्थकों के लिए एक सबूत के रूप में सामने आई है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि आखिर डॉक्टर और उनके कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।

पत्नी का दर्द: "क्या हमें न्याय मिलेगा?"

पंकज की पत्नी अदिति ने मंगलवार को SSP डॉक्टर गौरव ग्रोवर से मिलकर अपने पति के लिए न्याय की गुहार लगाई। अदिति का कहना है कि डॉक्टर और उनके स्टाफ ने उनके पति के साथ बुरी तरह मारपीट की थी और अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने SSP से प्रार्थना पत्र देकर इंसाफ की मांग की है। अदिति का यह भी कहना है कि अगर पुलिस डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है, तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी।

बच्चे की भावनात्मक चोट

इस पूरे प्रकरण का सबसे भावनात्मक पहलू पंकज और अदिति के बेटे का है। जब पंकज को डॉक्टर के कर्मचारियों ने पीटा, तब उनका 4 साल का बेटा शिवम भी वहां मौजूद था। इस घटना ने बच्चे पर गहरा भावनात्मक असर डाला है। अदिति ने बताया कि शिवम अपने पिता की पिटाई देखकर बुरी तरह से डर गया था और रोने लगा था। इस घटना से अदिति का पूरा परिवार सदमे में है।

राजनीतिक दबाव के बीच पंकज को न्याय दिलाने की कोशिशें

सिपाही पंकज कुमार के समर्थन में उठी आवाज अब शहर की सीमाओं से निकलकर राजनीतिक गलियारों तक पहुंच गई है। भाजपा और सपा जैसे बड़े दलों के नेताओं ने इस मामले में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है। जहां एक तरफ पंकज के परिवार और समर्थक न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर अनुज सरकारी पर कानूनी कार्रवाई की मांग जोर पकड़ती जा रही है।

पंकज के पक्ष में न केवल स्थानीय लोग बल्कि कई राजनीतिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भी खुलकर सामने आए हैं। सबकी एक ही मांग है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और पंकज के साथ हुई ज्यादती के खिलाफ डॉक्टर और उनके स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की जाए।

सिपाही पंकज कुमार का मामला केवल एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं रह गया है। यह अब न्याय और अन्याय के बीच का एक मुद्दा बन गया है, जहां एक ओर पंकज के परिवार और समर्थकों को न्याय की तलाश है, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर और उनके समर्थकों को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका चाहिए। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आने वाले दिनों में न्यायपालिका और प्रशासन क्या कदम उठाते हैं।


FAQs

1. सिपाही पंकज कुमार पर किस मामले में कार्रवाई हो रही है?

सिपाही पंकज कुमार पर डॉक्टर अनुज सरकारी के चैंबर में हथौड़े से हमला करने का आरोप है। इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

2. क्या सिपाही पंकज को समर्थन मिल रहा है?

जी हां, पंकज कुमार को राजनीतिक दलों, संगठनों और उनके समर्थकों का भारी समर्थन मिल रहा है। भाजपा और सपा सहित कई नेताओं ने उनके समर्थन में आवाज उठाई है।

3. पंकज की मेडिकल रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है?

पंकज की मेडिकल रिपोर्ट में उनके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें डॉक्टर के स्टाफ ने अस्पताल में दो बार मारा था।

4. डॉक्टर अनुज पर क्या आरोप हैं?

डॉक्टर अनुज सरकारी और उनके कर्मचारियों पर पंकज कुमार को पीटने का आरोप है, जिसके बाद पंकज ने गुस्से में आकर उन पर हमला कर दिया था।

5. क्या पंकज की पत्नी ने कोई कानूनी कदम उठाए हैं?

जी हां, पंकज की पत्नी अदिति ने SSP से न्याय की गुहार लगाई है और अगर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *