
गोरखपुर। दिशा छात्र संगठन की ओर से गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘पर्यावरण का गहराता संकट और युवाओं की जिम्मेदारी’ विषय पर परिचर्चा हुई। संचालन आकाश ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के रूप रेखा के बारे में एक संक्षिप्त बात रखी और उसके बाद अलग-अलग छात्रों ने अपनी-अपनी बात रखी ।
मुख्य वक्ता प्रसेन ने कहा कि 1850 के बाद से पिछला वर्ष (2023) सबसे गर्म वर्ष घोषित हुआ था। तो वहीं इस साल गर्मियों में लू का शिकार हज़ारों की आबादी हुई। गर्मी और हीटवेव यानी लू से लाखों दिहाड़ी मज़दूरों से लेकर रेहड़ी-ठेला लगाने वाले, रिक्शा चलाने वाले, डिलिवरी (सप्लाई) का काम करने वाले हज़ारों लोगों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया था। पिछले वर्ष ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट ने सबको चौंकाते हुए यह आँकड़ा पेश किया कि दुनिया की सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी ने 2019 में उतना ही कार्बन प्रदूषण पैदा किया जितना की 5 अरब लोगों ने किया, जो मानवता की सबसे ग़रीब दो-तिहाई आबादी का हिस्सा हैं। इन अमीरों द्वारा उत्सर्जित किये गये कार्बन की मात्रा के कारण 13 लाख लोगों की गर्मी से सम्बन्धित अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं। इनमें से ज़्यादातर मौतें 2020 से 2030 के बीच होगी। ये मौतें केवल गर्मी से होने वाले प्रभाव के कारण होंगी। इस गर्मी से पृथ्वी पर जो प्राकृतिक आपदाएँ होंगी वह अलग है!
अंत में सभी छात्रों की इस बात पर सहमति बनी की जब तक मुनाफे पर टिकी पूंजीवादी व्यवस्था रहेगी तब तक पर्यावरण का विनाश होता रहेगा। कार्यक्रम में दीपक, प्रीति, विनय, रवि, अहमद हजला, रामू,रिया, आकाश, रोहित आदि शामिल हुए।