जलसा-ए-दस्तारबंदी : तलहा, अरसलान, फरहान, रेहान, अफजल बने हाफिज-ए-कुरआन

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गोरखपुर। दावते इस्लामी इंडिया द्वारा संचालित मदरसतुल मदीना जामियतुल कुरैश अंधियारी बाग का सालाना जलसा मंगलवार देर रात हुआ। कुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी अब्दुल जव्वाद ने की। नात-ए-पाक आदिल अत्तारी ने पेश की। मुख्य अतिथि मौलाना आसिफ मिस्बाही ने पूरा कुरआन-ए-पाक याद (कंठस्थ) करने वाले हाफिज अबू तलहा, हाफिज मो. अरसलान, हाफिज मो. फरहान, हाफिज मो. रेहान व हाफिज मो. अफजल के सर पर दस्तार बांध प्रमाण पत्र सौंपा। वहीं पूरा क़ुरआन-ए-पाक पढ़ने (नाजरा) वाले मदरसे के 27 छात्रों को भी प्रमाण पत्र सौंपा गया। छात्रों को दुआ, फूल माला व तोहफों से नवाजा गया।

 

मौलाना आसिफ व हाजी आजम अत्तारी ने अवाम से कहा कि कुरआन-ए-पाक एक ऐसी पाकीजा किताब है, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है। दूसरी किताबों को तीन चार बार पढ़ने से आदमी का दिल भर जाता है, जबकि क़ुरआन-ए-पाक जितनी बार पढ़ा जाता है उतना ही इसके अंदर लुत्फ और मजा आता है। पढ़ने और सुनने वाले को नई कैफियत हासिल होती है। दुनिया में जितनी भी किताबें हैं उनमें बदलाव होता रहता है, जबकि क़ुरआन-ए-पाक में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जैसा नाजिल हुआ है उसी शक्ल में आज भी मौजूद है। क़ुरआन-ए-पाक केवल मुसलमान के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के हर इंसान की रहनुमाई के लिए है। सफल होना चाहते हैं तो कुरआन-ए-पाक की रस्सी को मजबूती से पकड़ लें, क्योंकि हर जगह क़ुरआन-ए-पाक हमारी रहनुमाई करेगा।

 

अंत में दरुदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन व भाईचारे की दुआ मांगी गई। जलसे में मो. फरहान अत्तारी, कारी मोहसिन, मौलाना आरिफ अलीमी, मौलाना कादरी, कारी शहबाज, कारी शराफत हुसैन आदि मौजूद रहे।

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