अल्लाह के हुक्म का पालन करते हुए रखा 12वां रोजा

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गोरखपुर। रोजेदारों ने अल्लाह के हुक्म का पालन करते हुए रोजा, नमाज व अन्य इबादत की। शाम को सभी ने मिलकर रोजा इफ्तार कर पूरी दुनिया में अमन व भाईचारे की दुआ मांगी। सभी मस्जिदें नमाजियों से भरी रहीं। गुरुवार को 12वां रोजा पूरा हो गया। करीब 13 घंटा 25 मिनट का लम्बा रोजा मुसलमानों के सब्र व शुक्र का इम्तिहान ले रहा है। तरावीह की नमाज का सिलसिला जारी है। मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों में चहल पहल रह रही है। रेती, घंटाघर, शाह मारूफ, गीता प्रेस, गोलघर आदि के बाजार में ईद की खरीदारी शुरू हो चुकी है। महिलाएं इबादत के साथ बाहर की जिम्मेदारी बाखूबी निभा रही हैं। दर्जियों की दुकानों पर लोग पहुंच रहे हैं। सेवई, खजूर, मिस्वाक, टोपी, तस्बीह, इत्र की मांग बढ़ गई है।

इबादत‌ और लोगों के साथ हमदर्दी का महीना है रमजान : मोहम्मद अदहम

छोटे काजीपुर के समाजसेवी मोहम्मद अदहम ने कहा कि इसी मुबारक महीने की एक रात में कयामत तक आने वाले तमाम इंसानों की रहनुमाई के लिए अल्लाह की किताब कुरआन आसमान से दुनिया पर उतारी गई। जिससे फायदा हासिल करने की बुनियादी शर्त परहेजगारी है। अल्लाह का इरशाद है ‘‘यह किताब ऐसी है कि इसमें कोई शक नहीं, हिदायत है परहेजगारों के लिए मतलब अल्लाह से डरने वालों के लिए”। दूसरी तरफ अल्लाह ने कुरआन में रोजों को फर्ज़ किए जाने का मकसद बताते हुए फरमाया ‘‘यानी तुम पर रोजे फर्ज़ किए गए ताकि तुम परहेजगार बन जाओ” इस मुबारक महीने में एक ऐसी रात है जिसे शबे कद्र कहते हैं जिसमें इबादत करना हज़ार महीनों की इबादत से अफजल है। यह महीना अल्लाह की इबादत, इताअत और लोगों के साथ हमदर्दी व गमगुसारी और कुरआन का महीना है।

खूब इबादत कर अल्लाह को राजी करें : आसिम अहमद

रहमतनगर के समाजसेवी मो. आसिम अहमद ने बताया कि रोजा अल्लाह का अदब भी है और फज्ल की तलब भी है। अल्लाह महान है इसलिए उस अजीम से डरना दरअसल मोहब्बत करना ही है, इसलिए एक रोजेदार जब रोजा रखता है तो उसके दिल में खौफे खुदा होता है, जो उसे रोजे के अहकाम और अदब से बांधता है। बाकी बचे रोजे में खूब इबादत कर अल्लाह को राजी करें। सदका, जकात व फित्रा की रकम हकदारों तक जल्द पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। अल्लाह ने हर अमल का दुनिया में ही बदला बता दिया कि किस अमल पर क्या मिलेगा मगर रोज़ा के बारे में इरशाद फरमाया कि मैं खुद ही इसका बदला दूंगा या फरमाया कि मैं खुद ही रोजा का बदला (जज़ा) हूं।

कर्ज दी गई रकम पर जकात फर्ज है : उलमा

रमजान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर गुरुवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा।

1. सवाल : क्या कर्ज दी गई रकम पर जकात है?
जवाब : जी, जकात फर्ज़ है।

2. सवाल : एडवांस रखी गई रकम पर जकात वाजिब है या नहीं?
जवाब : बाज़ मामलात में एडवांस रकम वापस नहीं होती ऐसी सूरत में उन पर जकात वाजिब नहीं, और बाज़ मामलात में रकम वापस हो जाती है ऐसी सूरत में उन पर जकात वाजिब है।

3. सवाल : क्या नमाजे तरावीह में देखकर क़ुरआन पढ़ सकते हैं?
जवाब : नहीं इस तरह पढ़ने से नमाज नहीं होगी।

4. सवाल : रोजे की हालत में आंसू अगर मुंह में चला जाए तो?
जवाब: अगर आंसू की बूंद सिर्फ मुंह में गई थी कि थूक दिया तो रोजा नहीं टूटेगा और अगर हलक में उतर गई तो रोजा टूट जाएगा।

  • Syed Farhan Ahmad

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