गोरखपुर। माह-ए-रमजान के तीसरे जुमा की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदों में काफी भीड़ उमड़ी। सभी ने मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा की। क्या बड़े और क्या छोटे सभी अल्लाह की इबादत में पलके बिछाए दिखे और 20वां रोजा रखकर अपनी आस्था प्रदर्शित की। रोजेदार रोजा रख कर अल्लाह की दी हुई नेमत का शुक्रिया अदा करने में जुटे रहे। माह-ए-रमजान के तीसरे जुमा की नमाज छोटी-बड़ी सभी मस्जिदों में पूरी दुनिया में अमन व सलामती की दुआ के साथ अदा की गई। तकरीरों में रोजा, नमाज, जकात, एतिकाफ, शबे कद्र की विशेषता बताई गई। फतह मक्का पर भी तकरीर हुई। पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व अहले बैत पर दरूदो सलाम का नजराना पेश किया गया। घरों में महिलाओं ने इबादत की। शाम को सबने मिलकर इफ्तार किया। बाजार में ईद की खरीदारी तेज है। वहीं शहर की एक दर्जन से अधिक मस्जिदों में तरावीह नमाज के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल हो गया। फोटो कैप्शन: शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह रसूलपुर में जुमा में तकरीर करते इमाम हाफिज आफताब आल

मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि फतह मक्का के बाद मक्का शरीफ को दारुल अमन यानी शांति का घर घोषित किया गया और यह सब पैगंबरे इस्लाम के हाथों किया गया जिन्हें पूरे संसार के लिए रहमत बनाकर भेजा गया है। फतह मक्का विश्व इतिहास की बड़ी ही अद्भुत घटना है। दुनिया ने देखा कि आपने सबको माफ कर एक अनोखी मिसाल पेश की। पैग़ंबरे इस्लाम के इस फैसले से लोग दीन-ए-इस्लाम के दामन से जुड़ते चले गए।
फोटो कैप्शन: सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार में रमज़ान के तीसरे जुमा में तकरीर करते इमाम हाफिज रहमत अली निजामी

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने कहा कि फतह मक्का एक शानदार फतह थी। जो रमजानुल मुबारक की 20 तारीख को हुई। यह एक ऐसी फतह थी कि जिसमें कोई मारा नही गया। बल्कि सही मायने में सबको बेहतरीन ज़िंदगी मिली। पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फतह मक्का से लोगों का दिल जीत लिया। सभी को आम माफी दी गई। तारीख में इससे अनोखा वाकया कहीं नहीं मिलता। खून का एक कतरा भी नहीं गिरा और फतह अजीम हासिल हो गई।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में रमज़ान के तीसरे जुमा की नमाज का दृश्य

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि मक्का की फतह अरब से मुशरिकीन के मुकम्मल खात्मे की शुरुआत साबित हुई। मक्का की फतह के बाद पैगंबरे इस्लाम ने वहां के लोगों से शिर्क न करने, जिना न करने, चोरी न करने की शर्त पर बैअत ली और उन्हें अपने-अपने बुतों को तोड़ने का हुक्म दिया। पैगंबरे इस्लाम ने किसी पर जुल्म नहीं किया। सबको अमान दे दिया।
तीसरा अशरा शुरु : मस्जिदों में एतिकाफ का आगाज
शुक्रवार की शाम से माह-ए-रमजान का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरु हो चुका है। इफ्तार से पहले शहर की तमाम मस्जिदों में रोजेदारों ने एतिकाफ शुरु कर दिया। एतिकाफ करने वाले इबादत में मश्गूल हो गए। यह सिलसिला ईद के चांद तक जारी रहेगा।
शबे कद्र की पहली ताक रात में खूब हुई इबादत
मुसलमानों ने शबे कद्र की पहली ताक रात में खूब इबादत की। अल्लाह के बंदों ने इबादत कर गुनाहों की माफी मांगी। शबे कद्र की पहली ताक रात में मस्जिद व घरों में खूब इबादत हुई। मगरिब की नमाज के बाद इबादत का यह सिलसिला सुबह की फज्र नमाज तक चलता रहा। लोगों ने फर्ज़ व सुन्नत नमाजों के साथ कसरत से नफ्ल नमाजें अदा की। कुरआन-ए-पाक की तिलावत व तस्बीह पढ़ी। घरों में महिलाएं भी इबादत में मश्गूल रहीं। जहन्नम से आजादी की दुआ मांगी गई। अब शबे कद्र को रमजान की 23, 25, 27, 29वीं की ताक रात में तलाशा जाएगा।
बाप अपनी बेटी को जकात नहीं दे सकता है : उलमा
रमजान हेल्प लाइन नंबर 9454674201 पर शुक्रवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा।
1. सवाल : रोजे की हालत में दांत उखड़वाना कैसा?
जवाब : रोजे की हालत में दांत नहीं उखड़वाना चाहिए कि अगर दांत उखड़वाने में खून निकला और हलक से नीचे उतर गया तो रोजा टूट जाएगा।
2. सवाल : क्या बाप अपनी बेटी को जकात दे सकता है?
जवाब : नहीं। अगर बेटी और दामाद सख्त जरूरतमंद हों तो दामाद को जकात दे सकते हैं फिर वो अपनी बीवी की जरूरियात में खर्च करे।