
इंजमाम खान
"द आवाज़"

गोरखपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट बीते मंगलवार 23 जुलाई को वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा संसद में पेश किया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बजट में कोई नई चीज़ या पहल उल्लेखनीय नहीं है, यह बजट पिछले बजट के मुकाबले बहुत ज्यादा बेहतर साबित नहीं हो सकेगा। जबकि सरकार मौजूदा बजट में महिलाओं, गरीबों, किसानों के उत्थान की बात करते हुए बजट को विकसित भारत की ओर अग्रसित करने वाल करार दे रही है। वहीं विपक्षी दलों ने इसे निराशावादी और कुर्सी बचाऊ करार देते हुए सत्ता दल की बातों को साफ नकार दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बजट में सत्ता पक्ष पर राजनीतिक दबाव साफ दिख रहा है। देखा गया है कि कुल मिला कर सहयोगी पार्टियों का भरपूर ध्यान रखा गया है। नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू के लिए 74 हजार करोड़ रुपए का बजट दिया जा रहा है ,बिहार और आंध्रप्रदेश पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। वहां की सड़कें, हॉस्पिटल इत्यादि को बनाने के लिए विशेष पैकेज दिया गया है। हालांकि सत्ता दल को सभी राज्यों को एक ही तरह से देखना चाहिए। सोना,चांदी, प्लेटिनम, मोबाइल्स आदि की कीमत में गिरावट आई है। पिछले चुनाव में देखा गया कि महिलाओं को ज़्यादा महत्व दिया गया लेकिन उनके लिए इस बजट में कोई ख़ास उल्लेख नहीं है। 2017 से एक ही तरह से चल रही है 'मात्र वंदना योजना' जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को 5000 रुपए दिया जा रहा है ये उम्मीद थी कि इसमें कुछ बढ़त देखी जा सकती है। महिलाओं के बजट में 3 लाख करोड़ रूपए खर्च करने का फैसला सरकार ने जरूर लिया है लेकिन इसका कोई प्रभाव आम महिलाओं पर नहीं देख पाया जाएगा। आंगनवाड़ी का बजट भी ज्यों का त्यों है अगर इसके बजट में बढ़त होती तो महिलाओं को खासा फायदा पहुंचता। अगर सामान्य वर्ग के लोगों की राय को देखा जाए तो वह इस बजट को आम नहीं मानते। उनका कहना है कि यह बजट आम नहीं खास लग रहा है। इसमें आम लोगों की जेब का ख्याल नहीं रखा गया है। आम लोगों को अपनी कमर कस लेनी होगी। रोजगार और युवाओं के लिए 1.5 लाख करोड़ का बजट बना है, लेकिन देखा जाए तो पिछले बजट में भी यह दावा किया गया था कि बेरोजगारों को फायदा पहुंचाया जाएगा लेकिन ऐसा करने में सरकार सक्षम नहीं हो सकी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि बजट में इससे भी बेहतर रूप से गरीबों और बेरोजगारों पर ध्यान देना चाहिए था।

कानूनी मामलों के जानकार अधिवक्ता तौहीद अहमद का कहना है कि इस बजट में टैक्स भुगतान करने वालों को राहत मिली है। जीवन रक्षक व कैंसर जैसी दवाओं पर कस्टम ड्यूटी कटने से आम जनता को भी राहत मिलेगी परंतु "Short term capital gain" में 5% वृद्धि करने से पिछले वर्षों इक्विटी मार्केट में भारतीय निवेशकों का बढ़ा रुझान अब कम हो जाएगा जिससे मार्केट में पैसे की आमदनी कम होगी।

शिक्षक मुहम्मद आज़म ने कहा कि आज का बजट आशा के अनुरूप नहीं रहा, घोर निराशा हुई, मध्यम वर्गीय परिवार के लिए कुछ नहीं है। महंगाई को रोकने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं बताया गया। मोबाइल रिचार्ज महंगा हो गया।

मुस्लिम धर्मगुरु नायब काज़ी मुफ्ती मुहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि बजट में किसानों और छात्रों के लिए बात ज़रूर की गई है लेकिन मुकम्मल तौर पर हमारी अपेक्षाएं पूर्ण नहीं हुईं। कुल का हासिल यह कि इस बजट में कुछ खास बदलाव लाने की कोशिश नज़र नहीं आई।
