मां की गोद बच्चे का पहला मदरसा व स्कूल : अल्लामा सैयद गुलज़ार

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-छोटे काजीपुर में सेमिनार

गोरखपुर । एक पढ़ी लिखी मां की गोद से पढ़ी लिखी औलाद समाज को मिल सकती है। मां की गोद बच्चे के लिए सबसे पहला मदरसा व स्कूल है, इसलिए उसका पढ़ा लिखा होना बेहद जरूरी है। किसी दानिश्मंद का कौल है कि एक औरत को तालीम दे देना एक यूनिवर्सिटी खोल देने के बराबर है। मुसलमान अगर तरक्की चाहते हैं तो नमाज़, रोजा, हज व ज़कात की पाबंदी करें। अल्लाह और पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात पर मुकम्मल बेदारी के साथ अमल करें। अल्लाह और पैग़ंबरे इस्लाम के जिक्र से दिलों को रौशन करें। शरीअत के खिलाफ़ कोई काम न किया जाए।

महफिल से खिताब करते सैयद वलीउल्लाह बकाई

यह बातें मंगलवार को गौसिया नौजवान कमेटी की ओर से गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के सामने आयोजित ईद मिलादुन्नबी सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि मसौली शरीफ़ बाराबंकी के पीरे तरीकत अल्लामा सैयद शाह गुलज़ार इस्माईल वास्ती ने कही।

उन्होंने कहा कि ईद मिलादुन्नबी मनाना क़ुरआन व हदीस की रौशनी में जायज है। पैग़ंबरे इस्लाम ने खुद अपना मिलाद मनाया। सहाबा, अहले बैत, ताबईन, औलिया ने भी इसका एहतमाम किया। लिहाजा मुसलमान पूरे साल इस अज़ीम नेमत को मना कर सवाब हासिल करें। ईद मिलादुन्नबी की महफिलों व जलसों में अल्लाह की रहमत नाजिल होती है।

विशिष्ट अतिथि मुंबई के मुफ्ती जमालुद्दीन नूरी ने कहा कि ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी के सदके में तमाम ईदें मिलीं। पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए पूरी दुनिया बनी। पैग़ंबरे इस्लाम के सदके में पूरी दुनिया को वजूद मिला। आप नूर-ए-खुदा, खैरुल बशर हैं। क़ुरआन में अल्लाह फरमाता है कि बेशक तुम्हारें पास अल्लाह की तरफ से नूर तशरीफ लाया। पैग़ंबरे इस्लाम की नूरानियत से चांद, सूरज, सितारे सारी कायनात रौशन है। पैग़ंबरे इस्लाम जब पैदा हुए तो अल्लाह को सज्दा करके अपनी उम्मत को याद फरमाया। आप ही सबसे पहले शफाअत के मनसब पर फाइज होंगे। अल्लाह ने आपको बहुत बड़ा मर्तबा अता फरमाया है।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। सेमिनार में सैयद वलीउल्लाह बकाई, मुफ्ती मेराज अहमद कादरी, मुफ्ती अख्तर हुसैन, मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी, मुफ्ती मुनव्वर रज़ा, मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी, मौलाना मोहम्मद निजामी, कारी मो. अनस रज़वी, अशहर, कारी नियाज़ अहमद शम्सी, कारी मो. शमसुद्दीन बरकाती, नूर मोहम्मद दानिश, अफरोज कादरी, क़ासिद रज़ा इस्माईली, दारैन रज़ा, मौलाना मो. साजिद रज़ा, मौलाना दानिश रज़ा अशरफी, हाजी सेराज अहमद, मो. आज़म, कारी बदरुल हसन, कारी शराफत हुसैन, कारी बदरे आलम, मौलाना निजामुद्दीन, उजैर अहमद आदि मौजूद रहे।

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