
-देश के 50 शिक्षको को मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

गोरखपुर। शिक्षक दिवस के अवसर पर आज देश के 50 शिक्षकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की शुरुआत
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रथम बार 1958 में शिक्षकों के भविष्य को आकार देने में शिक्षकों की उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता को पहचानने के लिए शुरु किए गए थे। 60 के दशक के मध्य से, 5 सितंबर (शिक्षक दिवस)।
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौक़े में समारोह के लिए तारीख निश्चित कर दी गई।

देश में हर साल पांच सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आज यह प्रतिष्ठित समारोह का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा समान स्वरूप शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किया गया।
कुल शिक्षक 28 राज्यों, 3 केंद्र शासित प्रदेशों और छह संगठनों से हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों मे 34 पुरुष, 16 महिलाएं, 2 दिव्यांग और एक सीडब्ल्यूएन के साथ काम करनेवाले शिक्षक शामिल हैं। इस राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों को योग्यता प्रमाण पत्र, 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक दिया जाता है. साथ ही साथ इन शिक्षकों को प्रधानमंत्री से बातचीत करने का अवसर मिलता है।
शिक्षको को पुरस्कार देने के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा का किसी के भी जीवन में मौलिक महत्व होता है। कई शिक्षाविद् बच्चों के संतुलित विकास के लिए थ्री-एच फॉर्मूले की बात करते हैं, जिसमें पहला एच हार्ट (ह्दय), दूसरा एच हेड (सिर) और तीसरा एच हैंड (हाथ) है।
उन्होंने कहा कि शिक्षण पेशे में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाली शिक्षिकाओं की संख्या और अधिक होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार माना जाता है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता का भी यह कर्तव्य है कि वे प्रत्येक बच्चे की क्षमताओं को पहचानें और संवेदनशीलता के साथ उन क्षमताओं को बढ़ाने में बच्चे की मदद करें।
उन्होंने कहा कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए और माता-पिता बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों को शिक्षकों को सौंपते हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षक को एक कक्षा के 40–50 बच्चों के बीच ज्ञान और प्यार बांटने का अवसर मिलना हर एक शिक्षक के लिए सौभाग्य की बात है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हर छात्र अपने शिक्षकों को याद करता है। बच्चों को शिक्षकों से जो प्रशंसा, प्रोत्साहन या सजा मिलती है वह उनकी यादों में बसी रहती है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर बच्चों में सुधार लाने के इरादे से उन्हें सजा दी जाती है, तो उन्हें इसका अहसास बाद में होता है। राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों को ज्ञान देना महत्वपूर्ण है लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्ण प्यार और स्नेह देना भी है ।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान करने का मकसद शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को सेलिब्रेट करना और उन्हें सम्मानित करना और प्रोत्साहन देना है।
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