समाज व देश की बेहतरी के लिए बुद्धिजीवियों ने साझा किए विचार

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मौलाना सैफुल्लाह क़ादरी को ग़ौसे आज़म अवार्ड से किया गया सम्मानित

समाज व देश की बेहतरी के लिए बुद्धिजीवियों ने साझा किए विचार

गोरखपुररविवार को ग़ौसे आज़म फाउंडेशन (जीएएफ) की ओर से मियां साहब इस्लामिया इंटर कॉलेज, बक्शीपुर के सभागार में एक विशेष सम्मान समारोह और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मो. सैफुल्लाह क़ादरी को उनके समाज और देश के प्रति विशेष योगदान के लिए ग़ौसे आज़म अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अनेक बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए और देश के विकास और बेहतरी के लिए किए गए प्रयासों पर चर्चा की।

सम्मान समारोह में मेहमानों का स्वागत

कार्यक्रम की शुरुआत जिलाध्यक्ष समीर अली और महासचिव हाफ़िज़ मोहम्मद अमन द्वारा मेहमानों के स्वागत के साथ हुई। कार्यक्रम का संचालन मोहम्मद आज़म ने किया, जिन्होंने अपनी बातों से समारोह में शामिल सभी मेहमानों को बांधे रखा। सम्मान समारोह के बाद संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने देश, समाज और शिक्षा के महत्व पर अपने विचार साझा किए।

ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के कार्यों पर मौलाना सैफुल्लाह क़ादरी के विचार

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि मौलाना मो. सैफुल्लाह क़ादरी ने ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के उद्देश्यों और कार्यों पर रोशनी डालते हुए कहा, "ग़ौसे आज़म फाउंडेशन एक ऐसी संस्था है, जो बिना किसी जाति, धर्म या मज़हब का भेदभाव किए गरीबों, यतीमों और जरूरतमंदों की मदद करती है। हमारा उद्देश्य भारत में शांति, भाईचारे और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।"

मौलाना क़ादरी ने वक़्फ़ बिल पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मुसलमानों द्वारा अपनी ज़मीन और संपत्ति को खुदा की राह में देना एक नेक काम है, जिसका उद्देश्य समाज के दबे-कुचले वर्गों की मदद करना होता है। उन्होंने सरकार से मंहगाई और बेरोज़गारी पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की, ताकि देशवासियों की स्थिति में सुधार हो सके।

लॉकडाउन के दौरान ग़ौसे आज़म फाउंडेशन की सेवाएं

विशिष्ट वक्ता मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने लॉकडाउन के दौरान ग़ौसे आज़म फाउंडेशन द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, "लॉकडाउन के दोनों चरणों में, जीएएफ ने हजारों जरूरतमंद परिवारों तक अपनी सेवाएं पहुंचाई, बिना किसी जाति या धर्म का भेदभाव किए। यह फाउंडेशन हमेशा समाज और देश की भलाई के लिए तत्पर रहता है।"

शिक्षा के महत्व पर वरिष्ठ शिक्षक मुख्तार अहमद के विचार

इस संगोष्ठी में वरिष्ठ शिक्षक मुख्तार अहमद ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और कहा, "शिक्षा समाज को सशक्त और समृद्ध बनाती है। यह समाज में न्याय, समानता और शांति को बढ़ावा देती है। शिक्षा ही वह साधन है, जिससे हम गरीबी, अशिक्षा और अज्ञानता जैसी बुराइयों को समाप्त कर सकते हैं।" उनके विचारों ने सभा में उपस्थित सभी लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि शिक्षा ही वह प्रमुख उपकरण है, जो समाज को बेहतर बना सकता है।

सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

एडवोकेट तौहीद अहमद ने अपने वक्तव्य में सोशल मीडिया के महत्व और उसके उपयोग पर सावधानी बरतने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "आज के समय में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है, लेकिन इसके उपयोग में हमें सावधानी बरतनी चाहिए। सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट या टिप्पणी किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए और हमें शालीनता से इसका प्रयोग करना चाहिए।"

सम्मानित किए गए अन्य विशिष्ट अतिथि

समारोह में अन्य विशिष्ट अतिथियों में नायब काज़ी मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी, क़ारी शरफुद्दीन मिस्बाही, मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही, मौलाना इदरीस, और वरिष्ठ समाजसेवी आदिल अमीन शामिल रहे। इन सभी ने अपने अनुभव और विचार साझा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि समाज और देश की बेहतरी के लिए सबको एकजुट होकर कार्य करना होगा।

मौलाना क़ादरी का समाज के प्रति योगदान

मौलाना मो. सैफुल्लाह क़ादरी को उनके अद्वितीय योगदान के लिए ग़ौसे आज़म अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और जरूरतमंदों की मदद के लिए समर्पित किया है। मौलाना क़ादरी के नेतृत्व में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने अनगिनत जरूरतमंदों की मदद की है और उनका उद्देश्य समाज में शांति और भाईचारे को बढ़ावा देना है।

शिक्षा और समाज सेवा का संगम

इस संगोष्ठी ने यह भी सिद्ध किया कि शिक्षा और समाज सेवा का आपसी संबंध बहुत गहरा है। मौलाना क़ादरी और अन्य वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि जब समाज के सभी वर्गों को समान अवसर और शिक्षा मिलती है, तो ही देश में समृद्धि और शांति कायम हो सकती है।

संगोष्ठी के प्रमुख विचार और निष्कर्ष

संगोष्ठी में उठाए गए प्रमुख मुद्दों में से एक यह था कि शिक्षा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के साथ-साथ, देश में आर्थिक स्थिरता की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। मौलाना सैफुल्लाह क़ादरी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को बेरोजगारी और मंहगाई को नियंत्रित करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि देश के सभी वर्गों का भला हो सके।

समाज सेवा की दिशा में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन का भविष्य

ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के जरिए यह साबित किया है कि समाज सेवा में धर्म, जाति या मज़हब का कोई स्थान नहीं है। इस फाउंडेशन का भविष्य उज्ज्वल है, और इसके कार्यों से देश के गरीब और दबे-कुचले वर्गों को निस्संदेह फायदा होगा।

गोरखपुर में आयोजित यह संगोष्ठी और सम्मान समारोह समाज और देश की भलाई के लिए काम करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मौलाना सैफुल्लाह क़ादरी और अन्य वक्ताओं ने शिक्षा, समाज सेवा, और सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल पर जो विचार व्यक्त किए, वे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि देश की बेहतरी के लिए हर व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। इस तरह के आयोजन न केवल समाज को एकजुट करने का काम करते हैं, बल्कि देश के विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

FAQs

1. ग़ौसे आज़म फाउंडेशन का उद्देश्य क्या है?
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन का उद्देश्य जरूरतमंदों की मदद करना, शांति और भाईचारे को बढ़ावा देना और समाज के दबे-कुचले वर्गों को सहारा देना है।

2. मौलाना सैफुल्लाह क़ादरी को ग़ौसे आज़म अवार्ड क्यों मिला?
मौलाना सैफुल्लाह क़ादरी को उनके समाज सेवा और गरीबों की मदद के लिए विशेष योगदान के कारण ग़ौसे आज़म अवार्ड से सम्मानित किया गया।

3. इस संगोष्ठी में किन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई?
संगोष्ठी में शिक्षा, सामाजिक न्याय, बेरोज़गारी, मंहगाई और सोशल मीडिया के सही उपयोग पर चर्चा की गई।

4. सोशल मीडिया के उपयोग पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
सोशल मीडिया का उपयोग करते समय हमें शालीनता का ध्यान रखना चाहिए और किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली पोस्ट या टिप्पणी से बचना चाहिए।

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