नगर निगम गोरखपुर: बोर्ड की बैठक में जमकर हंगामा, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र पर गरमाया मुद्दा – जानिए क्या हुआ

गोरखपुर नगर निगम की हालिया बोर्ड बैठक में जमकर हंगामा हुआ। विवाद का मुख्य मुद्दा जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में हो रही देरी को लेकर था। पार्षदों ने आरोप लगाया कि इन प्रमाणपत्रों को समय से जारी नहीं किया जा रहा, जबकि चढ़ावा देने पर इन्हें तुरंत उपलब्ध करा दिया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि बैठक में क्या-क्या हुआ और कैसे पार्षदों ने अपनी बात रखी।
Spread the love
गोरखपुर नगर निगम की हालिया बोर्ड बैठक में जमकर हंगामा हुआ। विवाद का मुख्य मुद्दा जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में हो रही देरी को लेकर था। पार्षदों ने आरोप लगाया कि इन प्रमाणपत्रों को समय से जारी नहीं किया जा रहा, जबकि चढ़ावा देने पर इन्हें तुरंत उपलब्ध करा दिया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि बैठक में क्या-क्या हुआ और कैसे पार्षदों ने अपनी बात रखी।

गोरखपुर नगर निगम की हालिया बोर्ड बैठक में जमकर हंगामा हुआ। विवाद का मुख्य मुद्दा जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में हो रही देरी को लेकर था। पार्षदों ने आरोप लगाया कि इन प्रमाणपत्रों को समय से जारी नहीं किया जा रहा, जबकि चढ़ावा देने पर इन्हें तुरंत उपलब्ध करा दिया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि बैठक में क्या-क्या हुआ और कैसे पार्षदों ने अपनी बात रखी।

बैठक का माहौल और विवाद की शुरुआत

सोमवार को हुई नगर निगम बोर्ड की बैठक काफी हंगामेदार रही। दिग्विजयनगर के पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र में हो रही देरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र जारी करने में दो से तीन महीने तक का समय लग रहा है, जबकि सामान्य आवेदक के लिए यह प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और समय-खर्चीली हो गई है। इसपर नगर निगम के अधिकारी जिम्मेदारी तहसील पर डाल रहे हैं, लेकिन पार्षदों ने नगर निगम को ही दोषी ठहराया।

वार्ड 35 के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि यदि कोई चढ़ावा देता है तो उसका काम तुरंत हो जाता है। उनके अनुसार, सुविधा शुल्क देने पर प्रमाणपत्र दो से तीन दिनों के भीतर जारी कर दिए जाते हैं।

हंगामे के बीच मेयर का आश्वासन

लगभग एक घंटे तक चले इस हंगामे के बीच, मेयर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने हस्तक्षेप करते हुए पार्षदों को आश्वस्त किया कि जल्द ही इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जिलाधिकारी और कमिश्नर से बात की जाएगी। उन्होंने वादा किया कि प्रमाणपत्रों को जल्द से जल्द जारी करने की प्रक्रिया में सुधार किया जाएगा।

सदन में धरना, फिर माहौल गरमाया

इसी बीच, बसंतपुर के पार्षद बिजेंद्र अग्रहरि सदन की कार्यवाही को लेकर धरने पर बैठ गए। उनका आरोप था कि सदन की कार्यवाही को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसके बाद करीब 25 पार्षदों ने उनका समर्थन किया, जिससे माहौल फिर से गरमा गया। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने पार्षदों को समझाकर माहौल शांत करने का प्रयास किया और इसके बाद सदन की कार्रवाई फिर से शुरू हुई।

पार्षदों के सवालों पर अपर नगर आयुक्त का जवाब

जब दिग्विजयनगर के पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने फिर से जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र में हो रही देरी का मुद्दा उठाया, तो अपर नगर आयुक्त शिव पूजन यादव ने जवाब देते हुए कहा कि इस देरी के पीछे नगर निगम का नहीं, बल्कि तहसील का हाथ है। लेकिन इसपर पार्षदों ने आपत्ति जताते हुए नगर निगम को ही जिम्मेदार ठहराया।

शिवजी नगर के पार्षद सौरभ विश्वकर्मा ने कहा कि 1500 रुपये देकर वह खुद अपने वार्ड के लोगों का प्रमाणपत्र 7 से 10 दिन के भीतर बनवा देते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रक्रिया में गड़बड़ी हो रही है। घंटाघर के पार्षद जियाउल इस्लाम ने प्रस्ताव रखा कि यदि नगर निगम इस समस्या का समाधान नहीं कर पाता है, तो जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार जिलाधिकारी को सौंप देना चाहिए।

सदन में आंकड़ों के साथ जवाब

लगभग आधे घंटे तक चली बहस के बाद, नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने आंकड़ों के साथ जवाब दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जन्म और मृत्यु के 1145 आवेदन लंबित हैं, जिनमें से 733 का निस्तारण किया जा चुका है। जबकि 231 आवेदन नगर निगम और 1480 आवेदन तहसील कार्यालय में लंबित हैं। उन्होंने इस समस्या के लिए सीआरएस पोर्टल की तकनीकी समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया।

सुविधा शुल्क का मुद्दा – पार्षदों की मांग

पार्षदों ने बैठक के दौरान यह आरोप भी लगाया कि सुविधा शुल्क के बिना प्रमाणपत्र जल्द नहीं मिलते। इसपर नगर आयुक्त ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो सदन में उनका नाम उजागर करें और उनका निलंबन यहीं पर जारी कर दिया जाएगा।

जोनल कार्यालय के निर्धारण में गड़बड़ी का मुद्दा

वार्ड 79 सिविल लाइंस प्रथम के पार्षद अजय राय ने जोनल कार्यालय के निर्धारण में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ जोन में शामिल वार्ड की दूरी अत्यधिक है, जिससे जनता को परेशानी हो रही है। नगर आयुक्त ने आश्वासन दिया कि पार्षदों की एक समिति बनाकर इसकी समीक्षा की जाएगी।

कूड़ा पड़ाव घर और सामुदायिक शौचालय की समस्या

वार्ड 61 के पार्षद शहाब अंसारी ने अपने क्षेत्र में कूड़ा पड़ाव घर और जर्जर सामुदायिक शौचालय से हो रही समस्याओं को उठाया। नगर आयुक्त ने बताया कि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान किया जाएगा और चरगांवा का गारबेज ट्रांसफर स्टेशन शुरू होने के बाद सभी कूड़ा पड़ाव घर हटा दिए जाएंगे।

संपत्ति कर में छूट की मांग

वार्ड 35 सालिकरामनगर की पार्षद सरिता यादव ने शहीद जवानों और सेवानिवृत्त सैनिकों के परिवारों से संपत्ति कर नहीं लेने की मांग की। नगर आयुक्त ने इसपर विचार करने का आश्वासन दिया।

ई-चार्जिंग स्टेशन के लिए नई जगह का चयन

गोरखपुर में ई-ऑटो चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए महेसरा में नई जगह तय की गई। पहले यह जमीन सिविल लाइंस में दी गई थी, लेकिन वहां के पार्षद जियाउल इस्लाम ने कहा कि वह जमीन बक्फ बोर्ड की है, जिससे उसे किसी को नहीं दिया जा सकता।

डीडीयू विश्वविद्यालय के ब्याज माफी का प्रस्ताव

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने नगर निगम से ब्याज माफी की मांग की थी, जिसका प्रस्ताव शासन को भेजने का फैसला लिया गया। डीडीयू पर 9.61 करोड़ रुपये का संपत्ति कर बकाया है, जिसमें ब्याज सहित कुल राशि शामिल है।

नवीन पार्क और अलाव जलाने के लिए स्वीकृति

नगर निगम ने नानाजी देशमुख पार्क के निर्माण के लिए सुभाष चंद्र बोस नगर में जमीन चिह्नित की है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर गोरखनाथ मंदिर परिसर में अलाव जलाने और शीत ऋतु के दौरान विभिन्न वार्डों में लकड़ी की आपूर्ति के लिए भी धनराशि स्वीकृत की गई।


नगर निगम गोरखपुर की बैठक में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में हो रही देरी, सुविधा शुल्क का आरोप, जोनल कार्यालय के निर्धारण में गड़बड़ी जैसी कई मुद्दे गरमाए रहे। हालांकि, मेयर और नगर आयुक्त ने पार्षदों को आश्वासन देकर माहौल शांत करने की कोशिश की। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आश्वासनों पर आगे क्या कार्रवाई होती है और जनता को इससे कितना लाभ मिलता है।


FAQs

1. नगर निगम में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र मिलने में इतनी देरी क्यों हो रही है?
जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र में देरी का मुख्य कारण प्रशासनिक प्रक्रियाओं में धीमापन और तहसील व नगर निगम के बीच तालमेल की कमी है। कई बार आवेदन नगर निगम से तहसील में भेजे जाते हैं और वहां से उनकी मंजूरी मिलने में काफी समय लग जाता है। इसके अलावा, सीआरएस (सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) पोर्टल में तकनीकी समस्याओं के कारण भी प्रक्रिया धीमी हो जाती है। हालांकि, मेयर और नगर आयुक्त ने इस मुद्दे को जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया है।


2. क्या सुविधा शुल्क देकर जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जल्द मिल सकता है?
यह आरोप लगाया जा रहा है कि सुविधा शुल्क देने पर जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जल्दी मिल जाता है, जो कि एक अवैध प्रक्रिया है। पार्षदों ने इस बात को उठाया कि चढ़ावा देने पर प्रमाणपत्र दो से तीन दिन में जारी हो जाते हैं, जबकि सामान्य प्रक्रिया में यह कई महीनों तक लंबित रहता है। नगर आयुक्त ने स्पष्ट किया कि यदि कोई कर्मचारी ऐसा कर रहा है तो उसका नाम सार्वजनिक करने पर उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।


3. जोनल कार्यालय के निर्धारण में गड़बड़ी का मुद्दा क्या है?
पार्षदों ने शिकायत की है कि जोनल कार्यालय के निर्धारण में कुछ वार्डों की दूरी बहुत अधिक है, जिससे वहां के निवासियों को जोनल कार्यालय तक पहुंचने में असुविधा होती है। इस कारण लोगों को विभिन्न नगर सेवाओं का लाभ उठाने में दिक्कतें होती हैं। नगर आयुक्त ने यह समस्या स्वीकार की और इसके समाधान के लिए एक समिति बनाने का आश्वासन दिया, जो यह सुनिश्चित करेगी कि नजदीकी वार्डों को सही जोनल कार्यालय में शामिल किया जाए।


4. संपत्ति कर में शहीद जवानों और सेवानिवृत्त सैनिकों को छूट क्यों दी जा रही है?
पार्षदों की मांग है कि देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीद जवानों और सेवानिवृत्त सैनिकों को संपत्ति कर में छूट दी जाए। यह कदम उनके बलिदान और सेवाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उठाया जा रहा है। नगर निगम इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है, और यह भी संभव है कि इसे जल्द ही लागू किया जाए।


5. गोरखपुर में ई-चार्जिंग स्टेशन के लिए नई जगह क्यों चुनी गई?
ई-चार्जिंग स्टेशन पहले सिविल लाइंस क्षेत्र में बनाया जाना था, लेकिन पार्षदों ने आपत्ति जताई कि वह जमीन बक्फ बोर्ड की है और इसे किसी अन्य उपयोग के लिए नहीं दिया जा सकता। इस कारण स्टेशन के लिए महेसरा में नई जगह चुनी गई, जहां अब यह स्टेशन स्थापित किया जाएगा। इसका उद्देश्य ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा देना और शहर में ई-वाहनों के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *