इस्लाम धर्म ने लोगों को मुहब्बत का पैग़ाम दिया है : सैयद सगीर अशरफ

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शहीद अब्दुल्लाह नगर में जलसा-ए-गौसुलवरा व लंगर-ए-आम

गोरखपुर। शहीद अब्दुल्लाह नगर गोरखनाथ में जलसा-ए-गौसुलवरा व लंगर का आयोजन हुआ। उलमा किराम ने पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व गौसे आज़म हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमा की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। संयोजक हाफ़िज़ मो. बारकल्लाह खान अशरफी ने अमन, भाईचारगी व एकता की दुआ मांगी।

 शहीद अब्दुल्लाह नगर गोरखपुर में जलसा-ए-गौसुलवरा में तकरीर पेश करते कुशीनगर के मौलाना मुस्तफीज रज़ा
शहीद अब्दुल्लाह नगर गोरखपुर में जलसा-ए-गौसुलवरा में तकरीर पेश करते कुशीनगर के मौलाना मुस्तफीज रज़ा

मुख्य वक्ता लखनऊ के अल्लामा सैयद सगीर अहमद अशरफ ने कहा कि इस्लाम धर्म ने लोगों को मुहब्बत का पैग़ाम दिया है। इस्लाम धर्म जोड़ता है, सबका भला चाहता है। मुसलमान अमन का पैरोकार है वो दुनिया में अमन चाहता है। अगर कामयाबी चाहिए तो पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का तरीका व रास्ता अपनाओ, उनकी फरमाबरदारी और पैरवी करो। जो अल्लाह और उसके पैग़ंबर की फरमाबरदारी करेगा उसे उत्कृष्ट सफलता हासिल होगी। 

विशिष्ट वक्ता कुशीनगर के मौलाना मो. मुस्तफीज रज़ा ने कहा कि हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी ने पूरी ज़िंदगी अल्लाह और उसके पैग़ंबर के बताए रास्ते पर चलने की फिक्र, लोगों से सलीके से मिलना, सभी का ख़्याल रखना, शरीअत की पाबंदी में गुजारी। शैख़ अब्दुल कादिर ने अमानतदारी, वादा पूरा करना, झूठ से बचने, दूसरों के हुक़ूक़ का ख्याल, मां-बाप की खिदमत, उस्ताद की फरमाबरदारी का पैग़ाम दिया। 

जलसे का आगाज कुरआन-ए-पाक की तिलावत से कारी नसीमुल्लाह ने किया। नात व मनकबत आजमगढ़ के एहसान शाकिर आज़मी ने पेश की। अध्यक्षता मुफ्ती अख्तर हुसैन व संचालन मौलाना आफाक रज़ा मुशाहिदी ने किया। अंत में सलात ओ सलाम पढ़कर शीरीनी बांटी गई।

जलसे में मौलाना जहांगीर अहमद, मो. कासिम, कारी बदरे आलम, मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही, कारी नजरुल हसन, कारी अंसारुल हक़, मौलाना शादाब, मौलाना गुलाम दस्तगीर, सुहेल, टीपू सुल्तान, मो. शुएब खां, अफरोज कादरी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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