
गोरखपुर। रविवार को आठवां रोज़ा खैर व बरकत के साथ बीत गया। रोजेदार अल्लाह की रजा में नेक काम कर खूब नेकियां कमा रहे हैं। नेकी कमाने का यह सिलसिला पूरे रमजान तक ऐसे ही चलता रहेगा। मस्जिद व घरों में जमकर इबादत व कुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। दस्तरख्वान पर तमाम तरह की नेमत रोजेदारों को खाने को मिल रही है। सभी के हाथों में तस्बीह व सिरों पर सजी टोपियां अच्छी लग रही हैं। महिलाएं इबादत के साथ घर व बाजार की जिम्मेदारियां बाखूबी अंजाम दे रही हैं। तरावीह की नमाज़ जारी है। सदका, फित्रा व जकात की रकम लेने के लिए मदरसे वाले घरों पर पहुंचने लगे है। इसी सदका, फित्रा व जकात की रकम से मदरसों के साल भर का निजाम चलेगा। मदरसे में पढ़ने वाले गरीब, यतीम छात्रों के रहन-सहन, खान-पान का खर्च निकलेगा। कई मदरसों के शिक्षक तो बड़े शहरों में गये हुए हैं। बाजार गुलजार है।
रमजान सब्र का महीना और सब्र का बदला जन्नत है : मौलाना महमूद
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने कहा कि जिस्म और रूह से मिलकर इंसान बना है। यूं तो साल भर इंसान खाना-पीना और जिस्मानी व दुनियावी जरूरतों का ख्याल रखता है, लेकिन मिट्टी के बने इंसान में असल चीज तो उसकी रूह होती है अल्लाह ने रूह की तरबियत और पाकीजगी के लिए माह-ए-रमजान बनाया है। आज हम एक ऐसे दौर से गुजर रहें हैं जहां इंसानियत दम तोड़ती नज़र आ रही है और खुदगर्जी हावी हो रही है। ऐसे में माह-ए-रमजान का महीना इंसान को अपने आप के अंदर झांकने और खुद की खामियों को दूर कर नेक राह पर चलने का मौका देता है। अल्लाह भी इबादत गुजार रोजेदार बंदे को बदले में रहमतों और बरकतों से नवाजता है। यह महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है।
हकदार मुसलमानों की जकात, सदका, फित्रा से मदद कीजिए : नजीर अहमद
समाजसेवी नजीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि हमें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका रमजान के रोजे में मिलता है। गलतियों के लिए तौबा करने एवं अच्छाइयों के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने की इबादत का महत्व है। माह-ए-रमजान बहुत ही रहमत व बरकत वाला महीना है। हकदार मुसलमानों की जकात, सदका, फित्रा से हरसंभव मदद जरूर कीजिए।
सदका-ए-फित्र एक आदमी की तरफ से 70 रुपए है : उलमा
रमजान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर रविवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज, रोजा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा ने कुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : इस साल सदका-ए-फित्र की मिकदार कितनी है?
जवाब : गोरखपुर के मुसलमानों के लिए गेहूं की कीमत के ऐतबार से सदका-ए-फित्र की मिकदार एक आदमी की तरफ से 70 रुपए है, आप अपनी ताकत और तौफीक के मुताबिक जौ, खजूर या मुनक्का की कीमत भी 4 किलो 94 ग्राम का लिहाज़ करते हुए सदका-ए-फित्र निकाल सकते हैं।
2. सवाल : सदका-ए-फित्र किन पर वाजिब है?
जवाब : हर मालिके निसाब पर अपनी तरफ से और अपनी नाबालिग औलाद की तरफ से एक-एक सदका-ए-फित्र देना वाजिब है।